अगर आप एक किसान है तो आपको बता दे की इस समय गन्ने की बेल्ट में काफी भयंकर रोग लगा हुआ है जिससे की काफी गन्ने की फसल प्रभावित हुई है.विस्तार से जानने के लिए पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े.
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आखिर कौन सा है यह रोग
अगर आप एक किसान है तथा आपके खेत में अभी गन्ने की फसल है तो आपको बता दे की इस समय उत्तरप्रदेश राज्य के कई इलाको में कैंसर से भी भयानक रोग ने किसानो को चिंता की स्थिति में डाल दिया है जिससे की गन्ना विभाग तथा मिल प्रबंधन भी इस चीज़ को लेकर काफी चिंता में है.चरथावल के क्षेत्र में इस बीमारी को पहली बार देखा गया है.इस रोग के होने से गन्ने के बेल्ट पर लाल सडन यानि रेड रॉट हो जाती है इससे पहले मौसम के ख़राब होने की स्थिति को भी किसानो को झेलना पडा था.क्योकि कई इलाको में बाढ़ के आ जाने से गन्ने की फसल को काफी नुक्सान हुआ था.यह रोग प्रमुखतः गन्ने की प्रजाति सीओ 0238 में देखा गया था.इस रोग से प्रभावित होने वाले गन्ने के पौधे की पत्तियां सूखने लग जाती है.और अन्दर से रस सूखने लगता है और लाल रंग का दिखने लग जाता है.और पौधे की वृद्धि भी रुक जाती है.और संक्रमण जैसे इसकी फसल बर्बाद हो जाती है.
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इन स्थानों में लगा हुआ है यह रोग
पश्चिमी उत्तरप्रदेश के गणना बेल्ट में यह रोग दिखने के बाद मिल प्रबंधन ने जाँच शुरू कर दिया है.आपको बता दे की यह रोग हवा,पानी तथा बीज के माध्यम से फैलता है.बीते कई सालो से पूर्वांचल के कई जिलो में इस रोग ने काफी नुक्सान किया है.आपको बता दे की इस रोग को पहली बार मथुरा के कुछ खेतो में देखा गया था.यह रोग कुटेसरा गाँव के साथ लगभग सभी गांवो के लगभग 20 खेतो में यह रोग पाया गया था. तथा आपको बता दे की मिल प्रबंधन जोन सभी गांवो की जाँच करेगा.जाँच में यह पाया जा सकता है की यह बीमारी काफी चुओकाने वाली साबित हो सकती है.इस रोग ने गन्ने की फसल को काफी हद तक प्रभावित किया है.कई किसानो का कहना यह है की इस साल बेमौसम बारिश होने की वजह से गन्ने की लगभग 30 प्रतिशत फसल को नष्ट कर दिया है.चरथावल समिति के पूर्व सभापति कुबेर दत्त त्यागी जी कहना है की गहरे जंगलो में गन्ने के खेत में जलभराव होने के बाद वहां का पानी सूख नही पाया है और फंगस रोग की वजह से 25 से 30 प्रतिशत गन्ने की फसल की हानि हुई है तथा चौकड़ा गांव में पूर्व प्रधान सुभाष त्यागी जी का कहना है की गन्ने की खेती करने वाले किसानो के लिए यह साल काफी बुरा रहा है क्योकि टॉप बोरर फंगस के कारण 50 प्रतिशत गन्ने की फसल ख़राब हो चुकी है.और अब किसान रेड रॉट को लेकर काफी चिंता में है.
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रोग से बचाने के लिए किये जाने वाले उपाय
आपको बता दे की इस रोग को लेकर काफी किसान चिंता में है लेकिन आपको बता दे की इस रोग से बचाव के लिए जिन खेतो में यह रोग लगा हुआ है उन खेतो में ड्रोन के माध्यम से दवा का छिडकाव हो रहा है.तथा किसानो को यह सलाह भी दी जा रही है की वे अपने खेत के बीज में बदलाव कर लेवे क्योकि पूर्वांचल में यह बीमारी काफी पहले से है.इसकी जाँच सभी गांवो में की जाएगी.किसान जिनके खेत में 0238 किस्म का बीज है वे उसके स्थान पर 15023 ,14201,0118 को रोपित कर सकते है.आपको बता दे की क्षेत्र में अभी भी आंशिक रूप से बीमारी का प्रभाव है तथा मिल प्रबंधन के द्वारा दवाइयों का छिडकाव कराया जा रहा है.इससे बचाव के लिए किसान पुराने बीज को बदल सकते है.तथा अपने खेत की मेड को ऊँची कर सकते है.एवं फसल चक्र को भी अपना सकते है.
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