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धान की ये वैराटी लगाने से होगी बम्पर पैदावार, जानिए कौनसी धान से होता है सर्वाधिक उत्पादन

धान हमारे देश की प्रमुख फसल है. धान की खेती हमारे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है. मानसून का आगमन होने वाला है पूरे देश में किसानो ने धान की तैयारी शुरू कर दी है. अच्छे उत्पादन के लिए अच्छे बीज का होना बहुत आवश्यक है साथ की उत्तम किस्मो के प्रयोग से किसान बेहतर कमाई कर सकते हैं. आज इस लेख के माध्यम से हम आपको धान की कुछ उन्नत किस्मो के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके प्रयोग से आप भी अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

देश में जल्दी ही शुरू होगी धान लगाने की तैयारी

अगले महीने तक लगभग पूरे देश में मानसून का आगमन हो जाएगा. इसके बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रेदश , तमिलनाडु और बिहार आदि राज्यों के साथ साथ पूरे देश के किसान धान की खेती की तैयारी में लग जाएंगे. वैसे तो देश के अलग अलग हिस्सों में धान की अलग अलग किस्मो की खेती की जाती है, लेकिन बासमती धान का कोई जोड़ नहीं है. यह अपने स्वाद और सुगंध के लिए देश में ही नहीं समस्त विश्व मे विख्यात है. खास बात यह है कि बासमती धान भी कई प्रकार की होती हैं और सबका अपना अलग अलग स्वाद और फ्लेवर होता है. अगर आप भी बासमती धान की खेती करने का प्लान बना रहे हैं, तो आज हम आपको बासमती धान की ऐसी किस्मो के बारे में बताएँगे, जिससे आपको मिलेगी बंपर पैदावार.

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1.पूसा-1401

धान की अच्छी उपज के लिए अच्छी किस्म की धान ही लगानी चाहिए. पूसा-1401 धान की अच्छी उपज वाली किस्म है. इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया है. यह बासमती धान की एक अर्ध- बौनी किस्म है. खेत में लगाए जाने के 135 से 140 दिन बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं. इसकी खेती उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों में अधिक की जाती है. एक हेक्टेयर भूमि से इसका 4-5 टन उत्पादन किया जा सकता है.

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2. पूसा 834

यह धान की उच्च उपज वाली बासमती धान की एक बहुत बेहतरीन किस्म है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित किया गया है. इसकी ख़ास बात यह है की इसमें रोग से लड़ने की क्षमता अधिक पाई जाती है. इस धान के ऊपर रोग का कोई असर नहीं पड़ता. पूसा 834 धान की एक अर्ध- बौनी किस्म है. यह प्राकृतिक आपदा से भी सुरक्षित है तेज हवा और आंधी चलने पर भी इसकी फसल खेत में नहीं गिरती है. यह धान 125 से 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है इसका मतलब 130 दिन बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं. अगर इसकी पैदावार की बात की जाए तो 6-7 टन धान प्रति हेक्टेयर तक उत्पादित की जा सकती है.

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3. SKUAST-K धान

 यह बासमती की एक उच्च उपज वाली किस्म है. इसे शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने ईजात किया है. यह भी एक अर्ध-बौनी किस्म है. ऐसे में तेज हवा का उसके ऊपर कोई असर नहीं पड़ता है. यह एक सिंचित धान की किस्म है, जिसकी सबसे अधिक खेती जम्मू- कश्मीर में की जाती है. इसकी फसल को तैयार होने में 135 से 140 दिन लग जाते हैं. इसकी उपज क्षमता प्रति हेक्टेयर 6-7 टन है. यह सूखा, जलभराव और खारे पानी का भी असानी से सहन कर सकती है.

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4. पंत धान 12

पंत धान 12 बासमती धान की एक बहुत बेहतरीन किस्म है. पंत धान 12 को भी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया गया है. इसीलिए इसका नाम पंत धान रख दिया गया है. इसकी उपज क्षमता अन्य बासमती किस्मों के मुकाबले अधिक होती है. इसे पकने में भी ज्यादा समय नहीं लगता . अगर किसान भाई इसकी खेती करते हैं, तो 110 से 115 दिन में ही धान की फसल पककर तैयार हो जाती है. इस धान की उपज प्रति हेक्टेयर 7-8 टन की होती है जो अन्य धान की किस्मो की अपेक्षा अधिक है.

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