चावल की कीमत : जैसा की आप जानते हैं की भारत में सबसे ज्यादा धान की खेती की जाती है इसीलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. लेकिन इसके बाद भी भारत में सितंबर महीने में चावल का स्टॉक तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. ऐसे में आने वाले त्योहारी सीजन में सभी चीज़ों के दाम बढने के अनुमान लगाये जा रहे थे. सरकार कीमतों को काबू में रखने के प्रयास कर रही हैं लेकिन इसके बाद भी कीमते बढ़ने के आसार है.
त्योहारी सीजन में बढ़ेगी चावल की कीमत
यह तो आप- सब जानते ही हैं की आने वाले महीने में सबसे महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार हैं. ऐसे में त्योहारी सीजन में कीमते बढ़ने के आसार हैं लेकिन इससे पहले ही बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार बॉयल्ड राइस (उबले चावल) पर अगस्त महीने में लगाई गई 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी की अवधि को आगे बढ़ा सकती है. सरकार के इस फैसले से उबले चावल के निर्यात में कमी आएगी, निर्यात में कमी आने से देश में राइस का स्टॉक बढ़ जाएगा. ऐसे में चावल का भंडारण बढ़ने से कीमतों को काबू में रखा जा सकता है.
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सबसे कम बचा है चावल का स्टॉक
जैसा की हमने ऊपर बताया की भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है लेकिन इसके बाद भी हमारे देश में चावल का स्टॉक अभी तक के सबसे नीचले स्तर है. अभी देश में चावल का स्टॉक 232 लाख मीट्रिक टन है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 244 लाख मीट्रिक टन था. और 2021 में चावल का स्टॉक सितंबर महीने में 268 लाख मीट्रिक टन था.
स्टॉक कण्ट्रोल के लिए सरकार ने उठाये कदम
केंद्र सरकार ने चावल के स्टॉक पर कण्ट्रोल करने के लिए उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी लेकिन तत्काल परिस्थिति को देखते हुए सरकार इसकी टाइमिंग को फाइनेंशियल ईयर 2023-2024 के अंत तक के लिए बढ़ा सकती है. दरअसल, केंद्र ने बीते 25 अगस्त को उबले चावल के निर्यात पर 20 फीसदी ड्यूटी लगाई थी. जैसा की आप जानते हैं की इस साल मानसून के आते ही देश में महंगाई बढ़ गयी थी जिसके बाद सरकार ने चावल की कीमतों को कण्ट्रोल में रखने के लिए सितंबर में 2022 में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद जुलाई 2023 में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को बैन कर दिया गया था. फिर, सरकार ने 25 अगस्त को उबले चावल पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी, दो 15 अक्टूबर तक प्रभावी है. और अब इसकी अवधि को और आगे बढाया जा सकता है.
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इतनी है चावल की खपत
जैसा की आप जानते हैं की देश में 16 अक्टूबर के बाद से त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है. दशहरा और दिवाली जैसे पर्व 16 अक्टूबर के बाद ही आने वाले हैं. ऐसे में देश में चावल और अन्य सभी चीज़ों की डिमांड बढ़ जाएगी. यही वजह है कि केंद्र सरकार चावल की कीमत पर काबू रखने के लिए उबले चावल के निर्यात पर लगाई गई 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी की अवधि को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है. अगर बात करें चावल की खपत की तो भारत में उबले चावल की वार्षिक खपत मात्र 2 मिलियन टन है और यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का हिस्सा नहीं है.
अभी भी बनी हुई है महंगाई
सरकार महंगाई को कण्ट्रोल में रखने के लिए अथक प्रयास कर रही है. सरकार के प्रयासों से चावल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. लेकिन इसके बाद भी भारतीय खाद्य निगम के पास चावल का स्टॉक तीन साल के निचले स्तर पहुंच गया है. इसी के साथ उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 5 अक्टूबर तक, भारत में चावल की कीमत पहले से जायदा रही हैं आंकड़ो के हिसाब से चावल की औसत खुदरा कीमत पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक थी. सरकार के इतने अंकुशों के बावजूद महंगाई अभी भी बनी हुई है.
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