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नहीं हो पा रही मूंग की खरीदी किसानों को हो रहा है नुकसान, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

जैसा की आप सब जानते हैं की मूंग की खरीदी का समय चल रहा है किसानो ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन की पप्रक्रिया भी पूरी कर ली है 12 जून से इसकी खरीद का काम चालू किया जाना था लेकिन सतपुड़ा भवन की आग के चलते इसमे देरी हो रही है पूरी बात की जानकारी नीचे दी गयी है…

मूंग और उड़द की खरीदी का काम रुका

सतपुड़ा भवन की आग ने रोकी मूंग व उड़द की खरीदी प्रक्रिया. आग की वजह से एनआईसी का सर्वर ठप पड़ने से कई विभागों के पोर्टल भी बंद, जरुरी सेवाएं भी प्रभावित रहीं हैं.
राजधानी भोपाल स्थित सतपुड़ा भवन में लगी आग ने नेशनल इंफर्मेटिक्स सेंटर यानी एनआईसी के सर्वर को ठप कर दिया है। इसके असर से कई विभागों की ऑनलाइन सेवाएं भी बाधित हुई है। सबसे ज्यादा काम कृषि विभाग के अंतर्गत मूंग उड़द की खरीदी प्रक्रिया पर पड़ा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जब तक एनआईसी का सर्वर शुरू नहीं होता है तब तक उपार्जन से संबंधित निश्चित तिथि बताना संभव नहीं है। हालांकि वे तीन-चार दिन में व्यवस्था सुधरने की बात कह रहे हैं।

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खरीदी की काम में हो रही है देरी

जिले में सरकारी समर्थन मूल्य पर मूंग-उड़द की खरीदी के किए किसानों के पंजीयन का काम पूरा हो चुका है। इसमें मूंग बेचने 30 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। जिसका रकबा 68 हजार हेक्टेयर है। इसी तरह उड़द की फसल खरीदने के लिए 865 किसानों ने ही पंजीयन कराया है। इस खरीदी वर्ष में शासन द्वारा मूंग के लिए 7751 व उड़द केलिए 6600 रुपए प्रति क्विंटल की दर निर्धारित की है। शासन स्तर से मूंग उड़द की खरीदी का काम यूं तो 12 जून से शुरू होना था, लेकिन सतपुड़ा भवन की आग ने यहां स्थित एनआईसी के सिस्टम को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। डेटा मैनेजमेंट से जुड़े विभागों के पोर्टल भी नहीं चल पा रहे हैं। इन्हीं में से एक कृषि व किसान कल्याण विभाग का पोर्टल भी है।

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नहीं हो रहा सत्यापन

इस पर किसानों के पंजीयन का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। इसी तरह जिले में मूंग-उड़द खरीदी के लिए 35 केंद्रों का निर्धारण होना था, लेकिन इसकी अनुमति भी पोर्टल बंद होने के कारण प्रभावित हुई है। वहीं कलेक्टर ऋजु बाफना ने बारिश के मौसम को देखते हुए साफ निर्देश दिए हैं कि गोदाम स्तरीय केंद्रों का ही चयन किया जाए। ताकि यदि खरीदी के दौरान बारिश होती है तो किसानों की उपज भीगे नहीं, उसे सुरक्षित किया जा सके। पोर्टल के ठप रहनेके कारण इनकी सूची भी प्रदर्शित नहीं हो पा रही है। हालांकि जिला प्रशासन ने किसानों को आश्वस्त किया है कि सर्वर के ठीक होते ही पंजीकृत किसानों को सूचनाएं मिलने लगेगी। उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। इसी तरह का हाल लोक सेवा, एमपी ऑनलाइन से जुड़े पोर्टलों का भी है। यहां भी सभी काम ठप है। एनआईसी के डीआईओ राजेंद्र पटेल के अनुसार उच्च स्तर पर सुधार चल रहा है।

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जल्दी ही दूर की जाएगी समस्या

उपवर्जन से जुड़ी प्रक्रिया चूंकि ऑनलाइन ही की जा सकती है। विभाग के पोर्टल को एनआईसी संचालित करता है। इसलिए जब तक एनआईसी का सर्वर ठीक नहीं होगा, तब तक ये काम प्रभावित रहेंगे। पिछले वर्ष तो सब कुछ ठीक रहने के बाद भी उपार्जन का काम अगस्त- सितंबर तक चला था। इसलिए किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। जल्द ही समस्या दुरुस्त हो जाएगी।

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