जैसा की आप जानते हैं की देश भर में धान की फसल की तैयारी हो रही है अभी किसान धान की नर्सरी लगा रहे हैं जल्दी ही धान की रोपाई भी शुरू की जाएगी. अगर आप धान की रोपाई ठीक तरीके से करते हैं तो इससे पैदावार पर बहुत असर पड़ेगा. धान की नर्सरी लगाने का सही तरीका हमने अपने पिच्छले लेख में बताया था अगर आप अपनी धान की अच्छी पैदावार चाहते हैं तो इन टिप्स को फॉलो करें ..
धान की नर्सरी लगाना
धान की रोपाई से पहले धान की नर्सरी लगे जाती है. सबसे पहले आपको एक अच्छी किस्म की धान का चयन करना होगा इसके बाद आप इसका अच्छी तरह से बीजोपचार करके धान की नर्सरी लगा सकते हैं धान की नर्सरी से धान के पौधों को निकलकर खेत में लगाया जाता है इसीलिए आवश्यक है की धान की नर्सरी सही तरीके से लगाईं गयी हो. हमने अपने पिच्छले लेख में इसकी विस्तृत जानकारी दी है अगर आप एक अच्छी किस्म की धान का चुनाव करना और सही तरीके से उसकी पौध डालना चाहते हैं तो एक बार उस लेख को पढ़ सकते हैं.
यह भी पढ़ें :- धान की नर्सरी कैसे लगायें,कौनसी खाद कब डालें? जानिए नर्सरी से लेकर धान की बुवाई तक की पूरी प्रोसेस
धान की रोपाई का तरीका
सामान्य तौर पर 20-25 दिनों में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। हालाँकि, यह अवधि बहुत ज्यादा इस बात पर निर्भर करती है की पौध किस विधि से डाली गयी है जैसे :- अगर एसआरआई विधि से पौध डाली गयी है तो 8 से 12 दिनों में पौधे की रोपाई की जा सकती है। बता दें रोपाई से एक दिन पहले नर्सरी में सिंचाई कर देना चाहिए इससे पौधों को निकालने में आसानी होती है। नर्सरी से पौधे निकालने के बाद यदि जड़ों में मिट्टी है तो उन्हें पानी में डूबोकर अच्छी तरह धो लेना चाहिए। इसके बाद कार्बेन्डाजिम 75% डब्ल्यू.पी. की 2 ग्राम मात्रा तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में घोल बना लें इस घोल में पौधों की जड़ों को 20 मिनट तक भिगोकर रखें यह एक तरीके से बीजोपचार ही है। अब उपचारित पौधों की खेत में रोपाई करें इससे पौधे स्वस्थ होंगे जिससे अच्छी पैदावार होगी । बता दें कि अच्छी बारिश आने के बाद जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच पौधों की रोपाई कर देना चाहिए क्योंकि यह समय धान की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। धान की रोपाई के समय पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाये रखें सामान्य तौर धान की रोपाई के लिए कतार से कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए। वहीं एक जगह पर ही 2-3 पौधे एक साथ लगाना चाहिए. आप कृषि यन्त्र की मदद से भी धान की रोपाई कर सकते हैं। आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करने से श्रम के साथ समय तथा पैसों की भी बचत होती है। राइस ट्रांस्प्लाटर मशीन से आप धान की रोपाई कर सकते हैं इससे श्रम और समय की बचत होती है साथ ही पैसे भी कम लगते हैं.
यह भी पढ़ें :- बासमती धान की ये वेराइटी है सिर्फ आपके लिए, कम पानी में भी देती है बम्पर उत्पादन
पैडी ट्रांसप्लांटर से रोपाई के फायेदे
आजकल खेत की जुताई, बुआई/रोपाई, कटाई आदि के लिए विभिन्न कृषि उपकरणों का उपयोग किया जाता है, इन यंत्रों की मदद से खेती में बहुत सहूलियत होती है। धान की रोपाई के लिए पैडी ट्रांसप्लांटर नामक यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। पारंपरिक रोपाई की तुलना में पैडी ट्रांसप्लांटर की मदद से धान की रोपाई ज्यादा करना आसान है। इससे श्रम, समय और पैसों तीनों की बचत होती है। जिससे किसानों को फायेदा होता है. अगर एक एकड़ में पारंपरिक तरीके से मजदूरों के द्वारा धान की रोपाई की जाए तो इसमें तकरीबन 10 से 12 मजदूर लगते हैं। वहीं राइस ट्रांसप्लांटर में केवल तीन लोग धान की रोपाई कर सकते हैं। इसमें एक आदमी मशीन चलाने के लिए तथा दो लोग नर्सरी से पौधों को ट्रे में रखने का काम करते हैं। मजदूरों की मदद से रोपाई करने में समय भी अधिक लगता है। यदि 10 से 12 मजदूर दिन भर काम करते हैं तब जाकर एक एकड़ में धान की रोपाई हो पाती है। वहीं ट्रांसप्लांटर की मदद से एक एकड़ में रोपाई करने में केवल डेढ़ से 2 घंटे का समय लगता है। प्रति एकड़ में मजदूर लगाकर धान की रोपाई के लिए करीब 2500 से 4000 रुपए का खर्च आता है। वहीं अगर पैडी ट्रांसप्लांटर का प्रयोग किया जाता है तो एक हजार रुपए में प्रति एकड़ की रोपाई हो जाती है। ऐसे में 2000 से 3000 हजार रुपए की बचत आसानी से की जा सकती है। यह बात तो हम सभी जानते हैं की मशीन इंसान से ज्यादा दक्ष होती है मजदूरों की बजाय पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की सटीक रोपाई की जा सकती है। ट्रांसप्लांटर की मदद से धान के पौधों को समान पंक्ति, समान दूरी और समान गहराई में रोपाई की जा सकती है। इससे धान उत्पादन पर बहुत फर्क पड़ता है.
यह भी पढ़ें :- धान लगाने की मशीन पर सरकार दे रही है बम्पर सब्सिडी, जल्दी से कर दें आवेदन
कौनसी खाद कब डालें
धान की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक है की सही समय पर खाद और उर्वरक डाले जाएँ. खेत में आखिरी जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 100 से 150 क्विंटल गोबर खाद डालना चाहिए। इसी के साथ आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश भी दाल देना चाहिए। लेकिन नाइट्रोजन की आधी मात्रा ही डालें तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा खेत तैयार करते समय देना चाहिए। जबकि नाइट्रोजन की बची हुई आधी मात्रा टापड्रेसिंग के रूप में खड़ी फसल में देना चाहिए इससे फसल की ग्रोथ अच्छी होती है।
यह भी पढ़ें :- Pipariya Mandi Bhaw : पिपरिया मंडी भाव 13 जून 2023
मंडी भाव ग्रुप से जुड़ें –