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धान की नर्सरी कैसे लगायें,कौनसी खाद कब डालें? जानिए नर्सरी से लेकर धान की बुवाई तक की पूरी प्रोसेस

धान की खेती की तैयारी में लगे हुए हैं अभी धान की नर्सरी लगे जा रही हैं ऐसे में कई किसानो के मन में यह सवाल रहता है की धान की बर्सरी लगाने की सही विधि क्या है, तो धान की नर्सरी लगाने के लिए चार प्रकार की विधि पूरे विश्व में उपयोग की जाती हैं. लेकिन हमारे देश में केवल एक ही विधि उपयोग की जाती है. किसान परंपरागत विधि देसी विधि का ही इस्तेमाल करके धान की नर्सरी लगाते हैं.आज हम आपको धान की अच्छी से अच्छी नर्सरी तैयार करने की विधि बताएंगे।

धान लगाने की विधियाँ

  • परंपरागत विधि या देसी विधि
  • डेपोग विधि
  • गीली क्यारी विधि
  • SRI विधि

भारत दुनिया का सबसे बड़े क्षेत्रफल पर धान की खेती करने वाला देश है. ज्यादातर किसान पहले पौध तैयार करते हैं उसके बाद ही धान की बुवाई खेत में रोपण विधि से करते हैं. ऐसे में आइये जानते हैं धान की सही विधि क्या है? और इसमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए..

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धान की उन्नत किस्में  का चुनाव करें

वैसे तो धान की कई उन्नत किस्में विकसित की गयी है, जिनसे इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त होती है. इनमें प्रमुख हैं  पी-1460, आईआर-64, पीएचबी 71,  पूसा-RH, तरावरी बासमती 1, पूसा सुगंध 2, पूसा सुगंध 3, पी-1121, पी-2511, रतना, विकास तथा माही सुगंधा आदि. इनसे धान की बम्पर पैदावार प्राप्त होती है. अपनी मिटटी और परिस्थिति के हिसाब से सही किस्म का चुनाव करें. 

धान की नर्सरी कैसे लगायें

धान की नर्सरी तैयारी करने के लिए कई चरण होते हैं. तो आइये जानते हैं धान की नर्सरी तैयार करने के प्रमुख चरण क्या क्या हैं …

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खेत को तैयार करना

दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी धान की नर्सरी लगाने के लिए उपयुक्त होती है. नर्सरी लगाने के पहले मिट्टी को समतल और भुरभुरा होने तक खेत की दो से तीन बार जुताई कर लेना चाहिए. वहीं खेत में पानी की निकलने की अच्छी व्यवस्था कर देनी चाहिए .

नर्सरी कब लगानी चाहिए  

जिन किस्मों की मध्यम से देर से पकती है, उनके लिए जून के दूसरे सप्ताह में करना उचित होता है. वहीं देर से पकने वाली किस्मों की जून के दूसरे से तीसरे सप्ताह तक करना चाहिए. 

क्यारियां बनाना

धान की नर्सरी क्यारियां बनाकर लगाई जाती है. इसके लिए एक से डेढ़ से मीटर चौड़ी तथा चार से पांच मीटर लंबी क्यारियां तैयार कर लें. 

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कितने बीज का इस्तेमाल करें

पहले क्यारियां तैयार कर लें इसके बाद उपचारित धान के बीज का प्रति वर्ग मीटर 50 से 80 ग्राम बीज का छिड़काव करें. विभिन्न किस्मों के अनुसार अलग अलग बीज की मात्रा की आवश्यकता पड़ती है प्रति हेक्टेयर 25 से 35 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बता दें कि नर्सरी में सही मात्रा में ही बीज डालना चाहिए. इससे नर्सरी में पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है और पौधे के सड़ने की संभावना कम हो जाती है. 

बीजोपचार करना

फसल को विभिन्न रोगों से बचाने के लिए बुवाई से पहले ही बीजोपचार किया जाता है नर्सरी लगाने से पहले बीज को अनुशंसित दवाईयों से उपचारित कर लेने से रोग लगने का खतरा कम हो जाता है. 

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नर्सरी में बीज की बुआई की विधि 

अंकुरित बीज जल्दी उगते हैं इसीलिए नर्सरी में धान की बीजाई करने से पहले बीजों को अंकुरित कर लेना चाहिए. इसके लिए बीजों को 15 से 20 घंटों के लिए पानी में भीगने दें. इसके बाद बीजों को अच्छी तरह सुखा लें और फिर नर्सरी में बुवाई करें. इसके बाद पक्षियों से दो तीन दिनों तक बचाव करें जब तक की बीज ठीक तरह से उग न आए.

खाद व उर्वरक का उपयोग कैसे करें

पौधे के अच्छे विकास के लिए धान नर्सरी में सही तरीके से खाद व उर्वरक का उपयोग किया जाना चाहिए इसमें प्रति 100 वर्ग मीटर में 2-3 किलोग्राम यूरिया(नाइट्रोजन), 3 किलोग्राम फास्फोरस तथा 1 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करना चाहिए. कुछ दिनों बाद यदि पौधों में पीलापन दिखाई दे, तो 1 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा आधा किलोग्राम चूना लेकर 50 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें . 

सिंचाई कैसे करें

पौधों के अच्छे अंकुरण के लिए पानी की सही मात्रा की बेहद जरूरत होती है. वुवाई के समय क्यारियों में पानी नहीं होना चाहिए लेकिन तीन से चार दिनों बाद क्यारियों को पानी से बिलकुल तर रखना चाहिए. वहीं जब पौधा 5 सेंटीमीटर तक बढ़ जाए तब खेत में एक से दो सेंटीमीटर पानी भरकर रखा जाना चाहिए. 

सही बीज का चुनाव कैसे करें

धान या किसी भी फसल की खेती के लिए सही बीज का चुनाव करना सबसे जरुरी होता है। इसके लिए अधिक उत्पादन देने वाली प्रतिरोधक किस्मों का चुनाव करना चाहिए लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए की उस किस्म की खेती के लिए हमारा खेत उपयुक्त है या नहीं । बीज के बेहतर अंकुरण के लिए सर्टिफाइड बीज का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

1. अपने खेत के लिए अनुशंसित किस्मों का चुनाव करना चाहिए।

2. बीज साफ सुथरा होने के साथ नमी मुक्त होना चाहिए। उसमे कचरा नहीं होना चाहिए.

3. बीज अच्छी तरह से पका हुआ होना चाहिए जिसमें बेहतर अंकुरण क्षमता हो।

4. बीज को अनुशंसित फूफंदनाशक, कीटनाशक से उपचारित करने के बाद बोना चाहिए। नही तो रोग लगने की सम्भावना रहती है.

5. बेहतर तरीके से भंडारित बीज का ही चुनाव करें। इसमें अच्छी अंकुरण क्षमता होती है.

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धान की खेती के लिए बीज की सही मात्रा

अगर आप हाइब्रिड किस्में लगाते हैं तो 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर .

अगर बासमती किस्में लगाते हैं तो 12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर.

अगर एसआरआई पद्धति के लिए 7.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

अगर सीधी बुवाई या डीएसआर पद्धति से बुवाई के लिए 40-50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बीजोपचार की विधियाँ

सबसे पहले 10 लीटर पानी में नमक डालकर इसका अच्छी तरह घोल बना लें। इसके बाद इसमें 500 ग्राम धान के बीज डालें। पानी की सतह पर तैरने वाले बीज को छलनी की मदद से अलग कर दें क्योंकि इनमे अंकुरण क्षमता नहीं होती। अब इन बीजों को उपचारित करें।

रासायनिक विधि

धान में फफूंदजनित रोग जैसे ब्लास्ट, ब्राउन स्पाॅट, रूटरोट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट आदि लगने का खतरा रहता है। इन रोगों से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 50 ए.सी. की 2 ग्राम मात्रा तथा स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 0.5 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में इनका अच्छी तरह से घोल बनाकर इसमें बीजों को 24 घंटे के लिए भिगोकर रखें।

जैविक विधि

स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम मात्रा लेकर एक लीटर पानी में इसका घोल बना लें। इस घोल में प्रति किलोग्राम बीज की मात्रा लेकर रातभर भिगोने दें।

धान की खेती के लिए नर्सरी प्रबंधन कैसे करें

धान की नर्सरी के लिए सही खेत का चयन करें जहाँ उपजाऊ, खरपतवार रहित और सुखी भूमि हो। प्रति हेक्टेयर में धान की खेती के लिए 500X500 मीटर जमीन की जरूरत पड़ती है। वहीं सिंचाई के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था होना चाहिए। बेड बनाने के बाद बुवाई की जाती है जिससे बीजों का अंकुरण जल्दी हो जाता है।

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धान की नर्सरी लगाने की विधियां

वेट बेड विधि

इस विधि का प्रयोग वहां पर किया जाता है जहां नर्सरी तैयार करने के लिए पानी की पर्याप्त की व्यवस्था होती है। इस विधि में पौध रोपाई के लिए 25 से 35 दिनों तैयार हो जाते हैं। नर्सरी के लिए ऐसी जमीन का चुनाव किया जाता है जहां सिंचाई और जल निकासी दोनों की व्यवस्था हो। नर्सरी निर्माण से पहले खेत की कम से कम दो-तीन बार जुताई की जाती है। इसके बाद 4-5 सेंटीमीटर ऊँची बेड बने जाती हैं । बिजाई के लिए 45 सेंटीमीटर लंबी की क्यारियों का निर्माण किया जाता है। बुवाई से पहले खेत में 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 1 किलोग्राम नाइट्रोजन, 0.4 किलोग्राम फास्फोरस, 0.5 किलोग्राम पोटाश डाल दे इससे नर्सरी में पौधों की ग्रोथ अच्छी होगी । एक मीटर जगह में 50-70 ग्राम (सुखे बीज) के हिसाब से बुवाई करना चाहिए। पहले कुछ दिनों तक क्यारियों में सिर्फ इतना पानी दें की नमी बनी रहे। जब पौध 2 सेंटीमीटर की हो जाए उसके बाद क्यारियों में पानी भर दें। बुवाई के 6 दिन बाद प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्र को 0.3-0.6 किलोग्राम नाइट्रोजन से ड्रेसिंग करें। 20 से 25 दिनों बाद जब पौध में 4 पत्तियां आ जाए तब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं । बता दें इस विधि में बीज की कम मात्रा की जरुरत होती है। साथ ही इस विधि से रोपाई के लिए पौधों को निकालना आसान होता है।

ड्राई बेड विधि

यह विधि ऐसी जगहों पर उपयोग की जाती है जहाँ पानी की पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इसके लिए समतल या ढलान वाली जगह का चुनाव किया जाता है। सबसे पहले दो-तीन जुताई के बाद 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपरी मिट्टी को बारीक कर लिया जाता है इसके बाद अब क्यारियों में चावल के भूसे का प्रयोग करके ऊँची तह बनाई जाती है । पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहे इसके लिए इस विधि में बुवाई के बाद बीजों को घास की मदद से ढंका जाता है। ऐसा करने से पक्षी भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। पर्याप्त नमी के लिए क्यारियों में पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। ख़ास बात ये है की ड्राई बेड विधि में बीज तेजी उगता है और 25 दिनों बाद ही पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। इस विधि से तैयार पौधे में प्रतिकुल परिस्थितियां सहन करने की क्षमता होती हैं।

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डेपोग मेथड

इस विधि का उपयोग ऐसी किस्मो के लिए किया जाता है जो शीघ्र पकने वाली होती हैं। यह हमारे देश की विधि नहीं है इसे फिलीपींस में विकसित किया गया था। यह दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इस्तेमाल की जाती है। हमारे देश में आंध्र प्रदेश के किसान इस विधि से धान की पौध तैयार करते हैं। इसकी सबसे ख़ास बात यह है की इस विधि में बिना मिट्टी के ही पौध तैयार की जाती है। इसके लिए एक समतल बेड का निर्माण किया जाता है जिस पर पाॅलिथीन शीट बिछाई जाती है। इसके ऊपर 1.5 से 2 सेंटीमीटर ऊँची खाद की परत बनाई जाती है। इस परत के ऊपर ही बीजों की बुवाई की जाती है। नमी के लिए पानी का छिड़काव करते रहते हैं। इस विधि से 12 से 14 दिनों में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।

एसआरआई विधि

यह धान की खेती सबसे की आधुनिक विधि है। इसमें सबसे पहले 20 प्रतिशत वर्मीकम्पोस्ट, 70 प्रतिशत मिट्टी तथा 10 प्रतिशत भूसा या रेत लेकर इनका मिश्रण बना लेते है। अब एक प्लास्टिक की पाॅलिथीन बिछाकर बनाये गए मिश्रण से उठी हुई क्यारी बनाई जाती है तथा उपचारित बीज की बुवाई की जाती है। बुवाई के बाद के बाद बीजों को मिट्टी की बहुत पतली परत से ढंक दें। जरूरत पड़ने पर पानी दें ताकि नमी बनी रहे। इस विधि में 8 से 12 दिनों में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। जब पौध में दो पत्तियां आ जाए तब इसकी रोपाई करें।

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