विदेशी बाजारों में तेल के भाव टूटने से और सरकार द्वारा आयतित सस्ते विदेशी तेल की बाजार में अधिक मात्रा होने से महंगे देसी तेल की खपत नहीं हो रही है
क्यों आई है तेल के दाम में गिरावट
खाद्य तेलों का सस्ता आयात कर सरकार ने दामों को काबू में किया विदेशी बाजारों में भाव टूटने और देश में सस्ते आयातित खाद्य तेलों की प्रचुरता होने के कारण तेल के दाम कम हो गए हैं जिससे महंगा देशी तेल नहीं बिक पा रहा और इसकी खपत नहीं हो रही है
यह भी पढ़ें :- PM किसान सम्मान निधि की 14वीं किश्त जल्दी ही आने वाली है,2000 की जगह 4000 मिलेंगे किसानो को
किसानो और तेल उद्योग को हो रहा है नुकसान
सस्ते आयातित खाद्य तेलों की बाजार में अधिकता होने के कारण स्थानीय मंडियों में लगभग सभी तिलहन फसलों की कीमत में गिरावट देखी गई. सस्ते आयातित तेलों की अधिकता के बीच देशी तेल-तिलहनों, विशेषकर सरसों के नहीं खपने से सरसों किसानों को नुकसान हुआ है सरसों किसान बाजार में मूल्य एमएसपी से कम किमत पर बेचने को मजबूर हैं.
यह भी पढ़ें :- शहर में भी कर सकते है इस तकनीक से खेती, कमा सकते है लाखो रूपये
किसान बंद कर सकते हैं तिलहन फसलों की खेती
अगर यही हाल रहा तो किसान तिलहन फसलों की खेती करना बंद सकते हैं क्योंकि अगर फसल को उचित दाम ही नहीं मिलेगा तो किसानो खेती कैसे करेंगे इसी के साथ सरकार की खाद्य तेल की आयात निर्भरता कम करने वाली योजना पर पानी फिर सकता है. क्योंकि अगर किसानों को उनकी तिलहन फसल का बेहतर दाम नही मिलेगें तो वह सरसों, सोयाबीन और और अन्य तिलहनी फसलों की खेती नही करेगें. जिससे तिलहन का उत्पादन घट जाएगा . संभावना है की अगर किसानों को तिलहन की खेती में लाभ नही मिला तो राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों तिलहन का उत्पादन घट जाएगा
यह भी पढ़ें :- Betul Mandi Bhav : आज के बैतूल मंडी भाव 26 अप्रैल
मंडी भाव ग्रुप से जुड़ें –