सूरजमुखी की फसल के बारे में हमारे देश में कम ही लोग जानते हैं इसकी खेती उतनी ज्यादा की भी नहीं जाती लेकिन कही कही पर कई किसानों की जीविका इसी से चलती है. यह मुख्य रूप से तिलहन फसल है. इसके बीज से तेल निकाला जाता है.
हरियाणा में किसान कर रहे हैं आंदोलन
हरियाणा में किसान पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं यह आन्दोलन सूरजमुखी की कीमत को लेकर किया जा रहा है. किसानों का कहना है कि मंडी में व्यापारी MSP ( न्यूनतम समर्थन मूल्य ) से काफी कम रेट पर सूरजमुखी की खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसानो की मांग है की एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद शुरू की जाये. हालांकि, सरकार के द्वारा एमएसपी में 360 रुपये प्रति क्विंटल की दर के हिसाब से से बढ़ोतरी की गयी है. इसके बावजूद भी किसानों को अभी भी मार्केट में अपनी फसल के लिए सही दाम नहीं मिल पा रहा है.
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कितने रकबे में होती है सूरजमुखी की खेती
हरियाणा में इस साल 38414 एकड़ में सूरजमुखी की खेती की गयी है. इससे हजारों किसानों की आजीविका जुड़ी हुई है. हरियाणा में सबसे अधिक कुरुक्षेत्र जिले के किसान सूरजमुखी की खेती करते हैं. जब सरकार ने MSP में बढोतरी की उससे पहले हरियाणा में सूरजमुखी की एमएसपी 6400 रुपये प्रति क्विंटल थी. इसमें 360 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गयी. जिसके बाद सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6760 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था. लेकिन, सरकार द्वारा रेट बढाने के बावजूद किसानो को खुले बाजार में अपनी फसल 3800 से 4500 रुपये क्विंटल के भाव में बेचनी पद रही थी . ऐसे में किसानों का कहना है कि अगर सरकार की तरफ से भावांतर भरपाई के लिए कुछ राशि दी जाये, तो किसानो को नुकसान नहीं होगा. हालांकि, सरकार अब तक भावांतर के रूप में 29.13 करोड़ की राशि जारी कर चुकी है.
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भावांतर योजना पर होगी सूरजमुखी की खरीद
हरियाणा सरकार द्वारा घोषणा की गयी थी कि भावांतर योजना के तहत वह सूरजमुखी की खरीद की जाएगी. इसके तहत किसानो की फसल का मार्केट रेट पर खरीद में जो भी नुकसान हुआ हुआ है उसकी भरपाई सरकार द्वारा की जायेगी. लेकिन, किसानो की मांग है की उनकी फसल की खरीद एमएसपी पर की जाए. सरकार और किसानो के बीच इसे लेकर कई बार बात-चीत हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसी के चलते किसानो द्वारा जम्मू-दिल्ली नेशनल हाइवे को जाम कर दिया गया. किसान नेता का कहना है कि जब तक सरकार एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद नहीं करेगी, तब तक आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा. साथ ही उनके गिरफ्तार हुए किसान साथी को रिहा करने की मांग भी की जा रही है.
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सूरजमुखी उत्पादन में तीसरे स्थान पर है हरियाणा
अगर पूरे देश की बात करें तो भारत में 1.48 मिलियन हेक्टेयर में सूरजमुखी की खेती की जाती है. इसकी उपज प्रति एकड़ लगभग 0.6 टन है. यह एक तिलहन फसल है इसे पकने में 90 से 100 दिन का समय लगता है . बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र और ओडिशा अदि राज्यों में सबसे ज्यादा सूरजमुखी की खेती की जाती है. देश में सूरजमुखी के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत इन राज्यों में ही किया जाता है. भारत में सबसे अधिक सूरजमुखी का उत्पादन कर्नाटक में किया जाता है. क्योंकि यहाँ की मिट्टी और जलवायु सूरजमुखी की खेती के लिए बहुत ही अनुकूल है. अकेले कर्नाटक में ही देश का आधे से ज्यादा सूरजमुखी उत्पादन किया जाता है यहाँ 48.65 प्रतिशत सूरजमुखी का उत्पादन करता है. इसके बाद 7.90 प्रतिशत उत्पादन के साथ दूसरे नंबर पर ओडिशा का स्थान है और 5.70 प्रतिशत प्रोडक्शन के साथ तीसरे नंबर पर हरियाणा को स्थान मिला है.
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सूरजमुखी तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है भारत
अगर बात करें सूरजमुखी के उत्पादन की तो इस फसल की लोकप्रियता देश में तेज़ी से घटी है. साल 1992 से 1993 के बीच भारत में 26.68 लाख हेक्टेयर के रकबे में सूरजमुखी की खेती की जाती थी, जो अब घट कर 2.26 लाख हेक्टेयर पर आ गया है यानि पहले के मुकाबले केवल 10% ही बचा है. यही वजह है कि भारत सूरजमुखी तेल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है.
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