सिंचाई की समस्या से केवल किसान ही नहीं सरकार भी परेशान है क्योंकि पानी की समस्या आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है. गर्मी के मौसम में वाटर लेवल नीचे चले जाने से किसानो को सिचाई करने में समस्या आती है. ऐसे में पानी और बिजली सभी संसाधनों पर संकट आ रहा है इसी समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा योजना शुरू की गयी है जानिए कैसे आप इस योजना का लाभ ले सकते हैं …..
कैसे आती है सिंचाई में समस्या
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां ज्यादातर आबादी की आजीविका खेती किसानी पर ही निर्भर है. देश में किसान धान, गेहूं, चना,गन्ना ,मूंग और सरसों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर अन्य फसलों की भी खेती करते हैं. लेकिन यहाँ पर सबसे अधिक धान और गेहूं की खेती की जाती है और सब्जियों की खेती का तो अलग ही स्थान है. खेती के लिए सिंचाई की सबसे पहले ज़रूरत पड़ती है क्योंकि बिना पानी के तो खेती की कल्पना भी असंभव है. इसलिए किसान अपनी जरूरत के हिसाब से ट्यूबवेल के माध्यम से फसलों की सिंचाई करते हैं. इससे भूमिगत जल का स्तर बहुत तेजी के साथ नीचे जा रहा है, इससे पानी की कमी की समस्या उत्पन्न हो रही है. पानी की बर्बादी ही इसेक पीछे का सबसे बड़ा कारण है अधिक पानी बर्बाद करने से आज यह स्थिति बन गयी है.
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पानी की बचत के लिए सरकार ने निकाला उपाय
पानी की कमी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पानी को बर्बाद होने से रोकन के लिए बहुत ही शानदार उपाय निकाला है सरकार ने ड्रिप विधि से सिंचाई का उपाय किसानो के सामने रखा है. यह उपाय सीधा किसान भाइयों के काम आ सकता है क्योंकि, इससे फसलों की उपज भी बढ़ेगी और किसानों के खेती पर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकेगा. सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को बंपर सब्सिडी देने का प्लान बनाया जा रहा है. ड्रिप सिंचाई विधि इसे टपक सिंचाई विधि के नाम से भी जाना जाता है . इस तकनीक से सिंचाई करने पर पौधों की जड़ों तक पानी बूंद-बूद कर जाता है. इससे फसलों को पानी की पर्याप्त मात्र भी मिल जाती है और 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत भी होती है. इससे उपज भी बढ़ जाती है.
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यह राज्य सरकार दे रही है 90% तक सब्सिडी
बिहार में सरकार द्वारा किसानो को ड्रिप विधि से सिंचाई के लिए 90% तक की सब्सिडी दी जा रही है. राज्य सरकार प्रदेश में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को बढ़ावा देने का प्लान बना रही है क्योंकि सिंचाई की इन तकनीकों में पानी की काफी बचत की जा सकती है. सरकार का मानना है कि इस तकनीक से सिंचाई करने पर फसलों की जड़ों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा और पानी की अनावश्यक बर्बादी भी नहीं होगी जिससेभूमिगत जल का स्तर भी नीचे नहीं जाएगा. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत कृषकों के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति तथा स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति में 90% के अनुदान की व्यवस्था की गई है. अगर किसान भाई ड्रिप सिंचाई तकनीक और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का लाभ उठाना चाहते हैं, तो बिहार उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को 90 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी.
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ड्रिप सिंचाई से 60 से 70 % तक होती है पानी की बचत
टपक सिंचाई विधि को ही ड्रिप सिंचाई भी कहा जाता है. इस तकनीक में पौधों तक पानी बूंद-बूद कर जाता है यह सीधा जड़ों तक जाता है. इससे फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है, जिससे उपज बढ़ जाती है. साथ ही पानी की बर्बादी को भी कम किया जा सकता है. जानकारों की माने तो ड्रिप विधि से फसलों की सिंचाई करने पर किसानों को 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा होता है. साथ ही 60 से 70 फीसदी तक पानी की बचत भी होती है. खास बात यह है कि ड्रिप सिंचाई में पतली पाइप से पानी की सप्लाई की जाती है. इस पाइप में छोटे छोटे छेद होते हैं जिनके द्वारा पानी फसल तक जाता है.
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