देश में गर्मी का मौसम ख़तम होने वाला है और जल्दी ही मानसून की दस्तक होने वाली है. इसकी शुरुवात केरल से होती है मानसून सामान्य रूप से केरल में 1 जून को प्रवेश करता है. इसमें आमतौर पर लगभग सात दिनों की देरी या जल्दी शामिल होती है या तो मानसून 7 दिन जल्दी आ जाते हैं या तो 7 दिन लेट आते हैं.
इस साल मानसून के लेट होने की सम्भावना है
इस साल केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में थोड़ी देरी होने की संभावना बताई जा रही है. मौसम विभाग कार्यालय ने मंगलवार, 16 मई को एक बयान देते हुए कहा कि मानसून के चार जून को दस्तक देने की संभावना है. पिच्छले साल की बात करे तो दक्षिणी राज्य में मानसून 29 मई, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को पहुंचा था. आईएमडी के अनुसार अल नीनो की स्थिति के बावजूद भी भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद की जा रही है.
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ऐसे मिलते हैं मानसून के संकेत
भारत में सबसे पहले मानसून का आगमन केरल से होता है. दक्षिण पश्चिम मानसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मानसून के आरंभ से चिन्हित किया जाता है और यह एक गर्म और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है. जैसे-जैसे मानसून उत्तर दिशा में आगे की ओर बढ़ता है, इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मीके तापमान से राहत मिलने लगती है. हालांकि इस समय भी देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी रहता है.
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तापमान रहेगा 40 डिग्री सेल्सियस
आईएमडी अधिकारी द्वारा बताया गया कि मई के पहले दो हफ्तों में हीटवेव की स्थिति पश्चिमी विक्षोभ के कारण कम गंभीर थी जिसने उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया है. जैसा कि अगला पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत में आ रहा है इससे अगले 7 दिनों तक, हम वहां हीटवेव की स्थिति की उम्मीद तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन तापमान फिर भी अधिक होगा, 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास तक तापमान रहने की उम्मीद है.
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तेज हवाओ से फ़ैल रही है धूल
अधिकारीयों ने कहा कि हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राजस्थान में धूल भरी हवाएं चल रही हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि एक पश्चिमी विक्षोभ गुजर चुका है और तेज हवाएं चल रही हैं. इसके अलावा पिछले सप्ताह तापमान भी काफी अधिक था, ज्यादातर हिस्सों में ये 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर ही रहा. वातावरण शुष्क है और 40-45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं सतह से धूल को उठा रही है इन हवाओ से उठी यह धूल वायुमंडल में फैल रही है. मुख्य रूप से यह वायुमंडल में 1-2 किमी की ऊंचाई तक फैल रही हैं.
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