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मशरूम की खेती में होता है 4 गुना मुनाफा, केवल 25-45 दिन में तैयार हो जाती है फसल

भारत देश के कई राज्यों में मशरूम की खेती की जाती है | यह एक कवकीय क्यूब होता है इसे खाने में  अचार, सब्जी और पकोड़े जैसी चीजों को बनाने के इस्तेमाल किया जाता है | मशरूम के अंदर कई तरह के पोषक तत्व होते है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है| विश्व में मशरूम की खेती को हज़ारो वर्षो से की जा रही है, किन्तु भारत में मशरूम को तीन दशक पहले से ही उगाया जा रहा है | हमारे देश में मशरूम की खेती को हरियाणा, बिहार ,उत्तराखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में व्यपारिक स्तर पर मुख्य रूप से उगाया जा रहा है |

किसानों को किया जा रहा है प्रोत्साहित

किसानो को 25 से 35 डिग्री टेंपरेचर में मशरूम की खेती करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही हैं. बिहार मशरूम की खेती में अग्रणी राज्य है. यहां के किसान बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती कर रहे है. बिहार में मशरूम की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. किसानो को प्रोत्साहित करने के लिए मशरूम उत्पादकों को बंपर सब्सिडी दी जा रही है. वहीं, अब राज्य सरकार ने मशरूम की खेती के लिए प्रोसेसिंग यूनिट पर भी अनुदान देने का ऐलान किया है.

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बिहार में तेजी से बढ़ रही है मशरूम की खेती

मशरूम के उत्पादन में बिहार का देश में पहला स्थान है इसकी खेती की वजह से बिहार के किसानों का नाम पूरे देश में रौशन हो रहा है.बिहार में छोटे और सीमांत किसान भी अपने घरों में मशरूम की खेती कर रहे हैं. जिससे उनकी कमाई भी में बढ रही है . बिहार के मशरूम मैन डॉक्टर दयाराम का विशेष योगदान है वे प्रदेश के हर जिले में इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. यही वजह है कि देश के 10 फीसदी से ज्यादा मशरूम का उत्पादन बिहार में ही किया जाता है.

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कैसे करें मशरुम की खेती

मशरूम को उगाने के लिए कूड़ा खाद को तैयार किया जाता है| इसके लिए कृषि अपशिष्टों को उपयोग में लाया जाता है | बारिश में भीगे हुए कृषि अपशिष्टों में उपयोग नहीं किया जाता | लाए गए इन अपशिष्टों को मशीन से काटकर तैयार किया जाता है |

चावल और मक्के के भूसे को गेहूं के भूसे की अपेक्षा अधिक उपयुक्त माना जाता क्योंकि इसमें क्यूब अधिक तेजी से तैयार होते है | शुरू में मशरूम को बंद कमरे में रखा जाता है, लेकिन एक बार मशरूम में क्यूब निकल आने पर इन्हे कम से कम 6 घंटे की ताज़ी हवा चाहिए होती है | इसके लिए जहाँ पर मशरूम को उगाया जा रहा है, उनमे खिड़कियों और दरवाजे का होना जरूरी है, जिससे हवा कमरों में आती जाती रहे |पहले भूसे को प्रोसेस किया जाता है. इसके बाद प्रोसेस्ड भूसे में मशरूम के बीज को बोया जाता है.

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लगात से 4 गुना होता है फायदा

25 से 45 दिन में फसल तैयार हो जाती है एक बैग की कीमत कम से कम 100 से 250 रुपये होती है. वहीं, एक बैग पर खर्च लगभग 20 से 50 रुपये आता है. एक बैग से 200 रुपये की कमाई होती है. यानी खर्चे से लगभग 4 गुना फ़ायदा होता है

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