अगर आप पशुपालन करते है तो आपके लिए यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि हम आपको इसमें पशुओ के बाँझपन को लेकर जानकारी देनें वाले है.
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पशुपालन से सम्बंधित समस्याए
अगर आप एक ग्रामीण इलाके में रहते है तथा आप किसान है तो आप पशुपालन अवश्य करते होंगे कई लोग ऐसे भी होते है जो किसानी नही करते है किन्तु पशुपालन का कार्य करते है कई लोगो की जीविका पशुपालन पर निर्भर होती है तथा कई बार पशुपालको को अपने पशुओ को लेकर कई समस्याओ का सामना भी करना पड़ता है जैसी की कई बार पशुओ को बीमारिया लग जाती है. कई लोगो के द्वारा पशुपालन के माध्यम से अच्छा मुनाफा भी कमाते है इसीलिए सरकार पशुपालन के व्यवसाय में मुनाफे में वृद्धि तथा अन्य समस्याओं के समाधान के लिए सरकार कई कदम भी उठती रहती है.इसके तहत सरकार कई योजनाए भी चलती है.तथा कई बार शिविरों का आयोजन करके किसानो एवं पशुपालको को विशेषज्ञों तथा वैज्ञानिको के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराती है.इसी के तहत राजस्थान राज्य के श्रीगंगानगर जिले में सूरतगढ़ में पशु विज्ञान केंद्र के द्वारा ऑनलाइन प्रसिक्षण शिविर को चलाया जा रहा है इसमें आपको पशुओ के बाँझपन के कारणों को विस्तार से समझाया जायेगा तथा इससे निपटने के लिए आपको कई उपाय भी बताये गए.जिनमे से कुछ उपायों के बारे में हम आपको आगे बताएँगे।
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बाँझपन से कैसे करे पशुओ का बचाव
ग्रामीण इलाको में पशुपालन का कार्य बहुत ज्यादा किया जाता है कई लोग इसे बड़े स्तर भी करते है तथा काफी बढ़िया मुनाफा कमाते है और कई लोगो के द्वारा पशुपालन अपनी जीविका को चलाने के लिए किया जाता है.इसमें पशुपालको को काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है कई बार पशु बीमार पड़ जाते है तथा कई बार ऐसा भी हो जाता है की कई पशु बाँझपन के शिकार भी हो जाते है.आज हम इसी पर बात करेंगे की आप किस प्रकार से पशुओ को बाझपन से बचा सकते है.इसके समाधान के सम्बन्ध में आयोजित किये गए शिविर में डॉ अमित चौधरी के द्वारा बताया गया की आपको पशुओ के हरे चारे तथा मिनरल मिक्सचर और उचित समय पर पशुओ में मद के लक्षणों को देखकर ही कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए.तथा इसके अलावा शिविर में यह भी बताया गया की पशु जब हिट में ना आये तो विटामिन ई एवं सेलेनियम के इंजेक्शन 3 दिन तक देने के बारे में भी बताया गया.तथा आगे इसी सम्बन्ध में डॉ मनीष कुमार सेन के द्वारा बताया गया की पशुपालको को पशुओ को 3 महीने में कृमि नाशक दवा अवश्य देना चाहिए. तथा इस शिविर में पशु की बच्चेदानी में संक्रमण के निवारण और कृत्रिम गर्भाधान से पशुओ को मिलने वाले लाभ एवं अन्य समस्याओ से सम्बंधित जानकारी दी गयी.इसमें सभी पशुपालको को समस्याओ को भी सुना गया तथा कई प्रकार की जांचो के बारे में भी बताया गया तथा इस शिविर में कुल 30 पशुपालको के द्वारा भाग लिया गया.
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