कम लागत और कम समय में कमा सकते हैं अधिक मुनाफा मूंग की खेती में लागत कम आती है. इसकी सिंचाई भी गेहूं के मुकाबले कम ही करनी पड़ती है, लेकिन मुनाफा गेहूं से कई गुना ज्यादा होता है.
किसानो में बढ़ रहा है नकदी फसलो का क्रेज़
किसान अब धीरे-धीरे परंपरागत फसलें छोड़कर नकदी फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. इससे किसानों कीआय में बढ़ोतरी होने की उम्मीद बढ़ी है. खास कर राजस्थान में नकदी फसलों की तरफ किसानो का रुझान कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. नकदी फसले ऐसी फसले होती है जो सीधे तौर पर उद्योगों के लिए कच्चा माल तैयार करने के काम आती है ऐसी फसलों में गन्ना कपास मूंग आदि को शामिल किया जाता है. खास बात यह है कि मूंग आदि की खेती करने से जमीन की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है.
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पारंपरिक खेती से इन फसलों में होता है अधिक मुनाफा
भारत में अधिकांश जनसँख्या खेती पर ही निर्भर करती है. हमारे देश के बिभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह की खेती की जाती है. किसान कई सालो से चले आ रहे परंपरागत तरीको से ही खेती करना पसंद करते है लेकिन कई किसान ऐसे भी है जो पुराने तरीको को छोड़कर खेती में ने प्रयोग कर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. जैसे राजस्थान में गेहूं और मक्के की खेती की जाती थी लेकिन अब किसानो का रुझान मूंग जैसी फसलों की तरफ बढा है. इसकी खेती से किसानो को अच्छा मुनाफा होने की उम्मीद है.किसानों का कहना है कि कुछ साल पहले तक गेहूं और मक्के की खेती होती थी. इसमें किसानो को कम मुनाफा होता था. लेकिन,अब उन्होने मूंग की खेती शुरू कर दी है जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है.
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मूंग में सिंचाई भी गेहूं के मुकाबले कम करनी पड़ती है
वैसे तो मूंग की खेती में लागत कम ही आती है. इसमें सिंचाई भी गेहूं के मुकाबले कम करनी पड़ती है, लेकिन मुनाफा गेहू की फसल से कई गुना ज्यादा होता है. खास बात यह है कि मूंग की खेती करने से खेत की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि हो जाती है और पैदावार भी अच्छी होती है. इसे बेचने पर अच्छी कमाई होती है. अन्य फसलों के मुकाबले देखा जाये तो मूंग की फसल को किसानो के लिए एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है.
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कब होती है मूंग की बुवाई और कटाई
वैसे तो मूंग की खेती दो सीजन में की जा सकती है लेकिन अगर बात की जाय ग्रीष्मकालीन मूंग की तो इसकी बुवाई का सबसे अच्छा समय मार्च के प्रथम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक माना जाता है मूंग की फसल को तैयार होने में ज्यफा समय नहीं लगता 60-65 दिनों के भीतर फसल तैयार हो जाती है इसकी कटाई में विशेष ध्यान देने की ज़रूरत होती है क्योंकि अगर फसल को ज्यादा सूखने के लिए छोड़ा जाता है तो ऐसे में फल्लियाँ चिटकने का डर रहता है इससे उत्पादन में कमी आती है. मूंग की उपज लगभग 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की होती है.
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