अगर आप एक किसान है तो आज हम आपको ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे है जिससे की आपकी लागत चार गुना तक कम हो जाएगी.
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आखिर कैसे होगी लागत कम
अगर आप भी करते है खेती तो आपको तो पता ही होगा की जब तक किसान की फसल नही आ जाती है उसको खेती में कितनी ज्यादा लागत आती है.इसीलिए आज हम आपको खेती करने की ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे है जिससे की आपको लागत तो कम आएगी ही और आपका समय भी काफी हद तक बचता है.क्योकि हम आपको इस पोस्ट में एक ऐसी मशीन के बारे में बताने जा रहे है.जिसकी मदद से आप गेहूं की कटाई के साथ साथ बुवाई का काम भी कर सकते है.आपको बता दे की इसके लिए आपको एक एकड़ में लगभग 600 रूपये की लागत आएगी.जिससे की इस मशीन की वजह से आपकी लगभग 4 गुना लागत कम हो जाएगी.आपको बता दे की वैज्ञानिको ने इस मशीन की पराली की समस्या को मद्देनज़र रखते हुए बनाया गया था.जो की किसानो के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है.इस मशीन को गेहूं की सतही बुवाई के नाम से जाना जाता है.इस मशीन को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के द्वारा बनाया गया है.ऐसा बताया जा रहा है की किसान इस मशीन के माध्यम से पराली प्रबंधन तथा गेहूं की बुवाई के काम को एक ही समय पर कर सकते है.इस काम में आपको एक एकड़ में लगभग 650 रूपये तक की लागत आती है.इससे फायदा यह होगा की किसानो को पराली को जलाना नही पड़ेगा जिससे प्रदुषण कम होगा.और किसानो को काफी ज्यादा मुनाफा होगा.
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आखिर कैसे काम करता है यह यंत्र
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा तैयार की गयी यह मशीन काफी ज्यादा फायदेमंद है.इससे किसानो की लागत में कमी आने के साथ साथ समय भी बचता है अब आप यह जरुर जानना चाहते होंगे की आखिर यह मशीन कम कैसे करती है तो आपको बता दे की इस मशीन को इसीलिए बनाया गया है ताकि किसानो के पराली की समस्या तथा बुवाई का काम आसानी से हो सके.जैसे की आप तो जानते ही है की किसानो को धान कटने के बाद गेहूं की बुवाई के लिए काफी इन्तजार करना पड़ता है.लेकिन अब ऐसा नही है इस मशीन के उपयोग से अब किसानो को पराली की समस्या से नही जूझना पडेगा और गेहूं की बुवाई के लिए इन्तजार नही करना पड़ेगा.कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर के कृषि वैज्ञानिक डॉ माखनसिंह भुल्लर जी ने बताया की विश्वविद्यालय ने कुछ सालो पहले बुवाई करने के यंत्र को बनाया था इस यंत्र को कंबाइन हार्वेस्टर में लगाया जाता है तथा धान की कटाई की जाती है तथा अटैचमेंट में गेहूं का बीज होता है.जिससे की बुवाई भी साथ साथ हो जाती है.
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कितनी आती है इसमें लागत
अगर आप इस तकनीक के माध्यम से पराली के अवशेष का प्रबंधन तथा गेहूं की कटाई को करते है तो आपको एक एकड़ में लगभग 650 रूपये का खर्चा आता है.इस तकनीक में आपको लगभग 45 किलो उपचारित गेहूं एवं 65 किलो डीएपी का उपयोग कर सकते है.
इस तकनीक के फायदे
यदि आप गेहूं की सतही बुवाई की तकनीक को अपनाते है तो आपको बहुत सारे फायदे होंगे यदि आप वही पारंपरिक तरीके से खेती करते है उसके मुकाबले यदि आप इस तकनीक से खेती करेंगे तो आपकी लागत तो कम आएगी ही इसके अलावा काफी फायदे होते है जैसे की आपको इसके लिए महंगे और ज्यादा पॉवर के कृषि उपकरणों की जरुरत नही पड़ती है. तथा इस तकनीक से फसल पर गर्मी के तनाव का ज्यादा प्रभाव नही पड़ता है और सबसे बड़ी बात यह है की इसकी वजह से खेत में खरपतवार काफी कम होती है.इसकी वजह से वायु प्रदुषण भी नही होती है क्योकि किसानो के पराली जलाने से प्रदुषण होता है और जब किसान पराली को जलाना बंद कर देंगे तो प्रदुषण नही होगा.
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