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गेंहू पर 400 रु. प्रति क्विंटल बोनस की खबर लगते ही मंडियों में आवक हुई कमजोर

पिछले वर्ष रूस यूक्रेन के मध्य जंग के चलते गेहूं का निर्यात विदेशों में अच्छा हुआ। 2022 में गेहूं निर्यात बेरोकटोक होने से गेहूं के भाव तेज थे वही निर्यात के कारण सरकारी स्तर पर होने वाली समर्थन मूल्य पर खरीदी पिछले वर्ष कम हुई। इस वर्ष गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध है। साथ ही इस वर्ष 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के चक्कर में इस वर्ष यह चर्चा बहुत तेजी से किसानो की बीच चल रही है की राज्यशासन किसानो को खुश करने के लिए पिछले चुनाव की तरह ही इस वर्ष भी गेंहू के दामो मो 400 रूपये प्रति क्विंटल का बोनस दे सकती है I इस वजह से भी मंडियों में गेंहू की आवक कम हुई है I

नतीजतन समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ चुकी है। हालांकि गेहूं के भाव में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ज्यादा अंतर नहीं आया है। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी गेहूं के भाव किसानों को अच्छे मिल रहे हैं। आइए जानते हैं सरकारी स्तर पर गेहूं की खरीदी कितनी बड़ी एवं लेटेस्ट में गेहूं के भाव क्या चल रहे है

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मंडियों में गेहूं की आवक कमजोर हुई –

गेहूं की आवक अब मंडियों में आवक कमजोर हो चुकी है। जबकि भाव स्थिर बने हुए हैं। सरकार ने खरीदी में गुणवत्ता को लेकर छूट दे दी। नतीजा हुआ कि अब हल्का माल किसानों ने एमएसपी पर तुलवा दिया। कारोबारियों के अनुसार अब भी किसानों ने अच्छी गुणवत्ता वाला माल हाथ में रखा हुआ है। चमक वाले गेहूं का वे स्टाक कर रहे हैं। रोटी वाली गेहूं के दाम 3000 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर बने हुए हैं।

एमपी में 10 मई तक होगी समर्थन मूल्य पर खरीदी

समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी  का कार्य मध्ययप्रदेश में 10 मई तक चलेगा। ताजा सीजन में एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीदी का आंकड़ा 11.14 मिलियन टन पर पहुंच गया है। बीते वर्ष की तुलना में गेहूं की सरकारी खरीदी अब तक 12 प्रतिशत ज्यादा दर्ज हुई है। बीते साल इसी अवधि में 9.98 मिलियन टन सरकारी खरीद हुई थी। सबसे ज्यादा वृद्धि मप्र और हरियाणा में हो रही है।

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पंजाब में गेहूं की खरीदी कमजोर

पंजाब में एक अप्रैल से ताजा खरीद  सीजन शुरू हुआ है। बीते साल निर्यात की भारी मांग के कारण सरकारी खरीद कमजोर रही थी। सिर्फ 18.8 मिलियन टन ही गेहूं खरीदा गया था। खास बात है कि सरकारी खरीदी में अब तेजी आ रही है। मप्र में ही सरकारी खरीद का लक्ष्य 8 लाख टन निर्धारित है। ऐसे में अभी भी खरीद का जोर बना रहा है।

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