आटा मिलों की मांग के बावजूद सरकार ने ओएमएसएस अर्थात गेहूं की 2 खुले बाजार में बिकी की योजना पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक में इस विषय पर चर्चा जरूर हुई, लेकिन किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा गया। इसके कारण दिल्ली लारेंस रोड पर गेहूं का भाव 2795 से 2815 पहुंच गया है। आटा मिलों की मांग है कि न्यूनतम 40 लाख टन गेहूं केंद्रीय पूल से खुले बाजार में बिक्री की अनुमति दी जाए। जानकारों का कहना है कि एक अक्तूबर को केंद्र सरकार के भंडारण में गेहूं का स्टॉक 227 लाख टन से अधिक था, जोकि पिछले साल की तुलना में आधे से कम है। इसके बावजूद सरकार का कहना है कि यह स्टॉक अभी भी बफर स्टॉक से अधिक है।
सूत्रों के अनुसार सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कई तरह की तैयारियों पर चर्चा की है, जिनमें न केवल स्टॉक लिमिट लगाई जा सकती है, बल्कि रूस से गेहूं को आयात भी किया जा सकता है। साथ ही आयात शुल्क में कटौति की जा सकती है। यदि सरकार गेहूं आयात करने का फैसला लेती है तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहले से तेज चल रहे बाजार और ऊंचे हो सकते हैं और आयातित गेहूं काफी महंगा हो सकता है।
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इन कदमों को उठाने से पहले सरकार यह भी जानती है कि इस समय देशभर में गेहूं उत्पादक राज्यों में चल रही बिजाई पर इसका असर आ सकता है और बिजाई घट सकती है। इस बार गेहूं की बिजाई अप्रत्याशित रूप से बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
3000 के ऊपर जायगा गेहूं
गेहूं के भाव में चल रही तेजी को रोकने के लिए विदेश से गेहूं का इम्पोर्ट करने पर भी विचार हो रहा है गेहूं पर स्टॉक लिमिट भी लग सकती है । रबी सीजन में गेहूं की बुआई चल रही है, जिसके कारण गेहूं बीज की मांग अधिक हो रही है। स्टॉक लिमिट लगाई गई तो इसका असर गेहूं की बुआई पर भी पड़ने का डर है। ️गेहूं के भाव में बन रही तेजी को देखते हुए को देखते हुए चालू रबी में गेहूं की बुआई पिछले सीज़न के मुकाबले बढ़ने की संभावना है। विदेशी बाजार में गेहूं के भाव वैसे ही तेज हैं, ऐसे में आयातित गेहूं भी महंगा है। जानकारों की माने तो रूस से आयातित गेहूं का भारतीय बंदरगाह पर पहुंच भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से कम नहीं हो सकता।