जैसा की आप सब जानते हैं की अभी किसानों ने अपने खेत में धान लगा रखी है लेकिन जल्द ही धान पककर काटने के लिए तैयार हो जाएगी तब किसान गेहूं की फसल अपने खेत में लगायेंगे इसलिए ज़रूरी है की किसान अभी से गेहूं की अच्छे से अच्छी वेराइटी के बारे में जान लें जिससे की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें. आइये जानते हैं गेहूं की कुछ बेहद ख़ास किस्मों के बारे में..
कैसे ले सकते हैं ज्यादा उत्पादन
खेती में अधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों निरंतर प्रयास करते हैं लेकिन उसके साथ साथ वैज्ञानिकों की ओर से भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। गेहूं से अच्छा उत्पादन पाने के लिए वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी नई किस्म विकसित की है जिसकी खेती करने पर 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार मिल सकती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि गेहूं की यह किस्म मौसम के प्रतिकुल प्रभावों को आसानी से सहन कर सकती है. जैसे- ज्यादा धूप, कम बारिश, कम सर्दी आदि इस तरह के मौसम का इस फसल पर ज्यादा बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसका उत्पादन सभी स्थितियों में एक जैसा ही रहेगा। गेहूं की इस किस्म का नाम डीबीडब्ल्यू- 327 (DBW- 327) रखा गया है। इसे गेहूं की अब तक की सर्वोत्तम किस्म बताया जा रहा है। इस किस्म पर बीमारियों का भी कम से कम प्रभाव होता है। अगर बात की जाए इसके प्रति हैक्टेयर पैदावार की तो इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 80 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है जो अन्य किसी भी गेहूं की किस्म की पैदावार का डेढ़ से दो गुना है। गेहूं की इस किस्म को भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। अगर आप भी अच्छी पैदावार चाहते हैं तो आपको इस किस्म की खेती करनी चाहिए. इसकी समस्त जानकारी आगे दी गयी है.
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क्या है DBW-327 की खासियत
जैसा की हमने ऊपर बताया की गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 327 किस्म में अन्य गेहूं की किस्म से ज्यादा विशेषताएं पाई जाती हैं। इसकी इन्ही विशेषताओं को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इस किस्म के इस्तेमाल पर जोर दिया है। आइये जानते हैं क्या क्या खास है गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 327 किस्म में इसकी विशेषताएं इस प्रकार से हैं.
- सबसे पहले गेहूं की डीबीडब्ल्यू-327 किस्म पर मौसम का ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता जिससे फसल खराब होने की संभावना बहुत कम होगी।
- गेहूं की यह किस्म बिमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक है जिससे इस पर बिमारियों का कम प्रभाव पड़ता है.
- गेहूं की इस किस्म में अन्य किस्मों की अपेक्षा अधिक पैदावार मिलती है।
- गेहूं की इस किस्म की पैदावार की बात करें तो इससे करीब 30-35 क्विंटल एकड़ तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
- गेहूं की यह किस्म खास तौर पर हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली की जलवायु के हिसाब से उपयुक्त बताई जा रही है क्योंकि यहां की भूमि इस किस्म के अनुकूल है।
इस किस्म के प्रत्यक्ष लाभ के साथ कुछ लाभ ऐसे भी हैं जो दिखाई नहीं देते हैं जैसे गेहूं की डीबीडब्ल्यू-327 किस्म रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसलिए गेहूं की फसल पर कीटनाशक का छिड़काव करने का खर्च कम हो जाता है। इसके अलावा इस किस्म में मौसम का प्रभाव नहीं होने से किसानों को इसकी विशेष देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं होगी। इस किस्म से किसानों को अन्य किस्मों की अपेक्षा अधिक उत्पादन प्राप्त होगा। इससे किसानों की इनकम बढ़ेगी यानी इस किस्म से किसानों को कम मेहनत में अधिक कमाई की जा सकती है.
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इसके अलावा इन किस्मों से भी मिलता है अच्छा उत्पादन
किसान भाइयों की जानकारी के लिए बता देंकग की ऐसा नहीं है की केवल इसी गेहूं की किस्म में अच्छा उत्पादन मिलता है इसके अलावा भी कई ऐसे गेहूं की किस्मे हैं जिनसे अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इन किस्मों में डीबीडब्ल्यू-370, 371, 372, 316 व डीबीडब्ल्यू-55 आदि किस्मे शामिल हैं. जल्द ही इन सभी किस्मों को लाइसेंसिंग के लिए बाजार में उतारा जाएगा। आइये एक-एक करके जानते हैं की क्या है गेहूं की इन किस्मों की खासियत…
डीबीडब्ल्यू- 370 किस्म की खासियत
गेहूं की डीबीडब्ल्यू-370 भी एक अधिक उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्म है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक बताई जाती है। वहीं इसकी औसत उपज 74.9 क्विंटल तक प्राप्त होती है। गेहूं की यह किस्म पूरी तरह से पककर तैयार होने के लिए 151 दिन का समय लेती है.
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डीबीडब्ल्यू- 371 किस्म की खासियत
अब जानते हैं गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 371 किस्म की खासियतों के बारे में. यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त है। जानकारी के मुताबिक, इस किस्म से अधिकतम 87.1 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। जबकि इसकी औसत उपज 75.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। अगर बात करें इसकी खेती के लिए उपयुक्त जमीन की तो इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान जिसमें कोटा व उदयपुर को छोड़कर शेष जिलों में इसे उगाया जा सकता है। वहीं उत्तर प्रदेश में झांसी मंडल को छोड़कर शेष स्थानों पर इसकी खेती की जा सकती है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी और उत्तराखंड के तराई वाले इलाकों में इसकी खेती की जा सकती है। गेहूं की यह किस्म 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कम सकते हैं.
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डीबीडब्ल्यू- 372 किस्म की खासियत
अगर बात करें गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 372 किस्म की तो इसकी उत्पादन क्षमता 84.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। वहीं इसकी औसत उपज 75.3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म भी 151 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
अधिक उत्पादन के लिए ऐसे करें गेहूं की बुवाई
अगर हम सही तरीके से गेहूं की बुवाई करते हैं तो इससे फसल के उत्पादन पर असर पड़ता है. गेहूं की बुवाई का सबसे अच्छा तरीका वर्गाकार विधि है। इस विधि में पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 8 से लेकर 10 इंच रखी जाती है। इसी प्रकार पौधे से पौधे की दूरी भी 8 से 10 इंच रखी जाती है। इस तरह वर्गाकार रूप में गेहूं की बुवाई करना सबसे अच्छा रहता है। कमजोर खेत में बुवाई करते समय दूरी कम रखी जा सकती है, लेकिन जो जमीन ज्यादा उपजाऊ होती है उसमे इसकी दूरी ज्यादा रखनी चाहिए जिससे की गेहूं की फसल को अच्छी तरह विकसित होने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके।
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