भारत एक ऐसा एकलोता देश है जिस देश में 85-90% वाहन डीजल से चलता है. जिसमे भी कारों की संख्या सबसे ज्यादा है. अज हम आपको एक ऐसी खबर बताने जा रहे है जो आपके लिए जानना बहुत जरुरी है, यदि आप अभी कभी नई कार लेने के बारे में सोच रहे है तो यह खबर आपके लिए बहुत ज्यादा जरुरी है. क्योकि भारत सरकार के पैट्रॉल मंत्रालय ने यह निर्णय लिया है की वह अगले वर्ष 2024 तक डीजल से चलने वाले ट्रक, बस को बंद करने वाला है एवं वर्ष 2027 तक वह डीजल से चलने वाली कारो को भी बैन करने का पूरा प्लान तैयार क्र लिया है.
डीजल इंजन है मौत का कारण
एक रिसर्च के मुताबिक यह सामने आया है की भारत में लगभग 40 लाख से ज्यादा मौते डीजल से होने वाले प्रदूषण से होती है. इसीलिए भारत सरकार के पट्रोलियम मंत्रालय ने आने वाले साल 2024 से डीजल से चलने वाले ट्रक, बस एवं वर्ष 2027 से डीजल से चलने वाली कारो पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है. जिसकी संख्या भारत में लगभग 87% है. यह बैन सरकार उन बड़े महानगरो में लगाने का प्लान कर रही है जिनकी आबादी 10 लाख से भी ज्यादा है.
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डीजल गाडियों के बैन लगने के बाद क्या होगा
जब कच्चे तेज यानि क्रूड आयल को 200 से 350 डिग्री सेल्सियस पर उबाला जाता है तब जाके डीजल निकलता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में फ्रैकशनल डिस्टिलेशन कहते है. 83% क्रूड आयल को भारत विदेशो ने आयात करता है जो एक काफी बड़ा हिस्सा है. एवं इसे आयात करने में सरकार को एक भारी भरकम मूल्य चुकाना पड़ता है. भारत में 87% गाड़ियां डीजल से चलती है जिनमे से सबसे ज्यादा केवल तीन राज्यों महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, हरियाणा में ही पूरे देश की 40% डीजल गाड़ियां है.
डीजल गाडियों को ही बैन क्यों?
जैसा की सभी जानते है की पैट्रॉल के मुकाबले डीजल कम मात्रा में कार्बनडाईआक्साइड गैस निकालता है. तब भी डीजल इंजन को ही बैन करने की बात क्र रहे है तो हम आपको इसकी असली वहज बता रहे है पट्रोल के मुकाबले डीजल का धुँआ हवा में प्रदूषण अधिक फैलाता है जो हमारे फेफड़ो एवं ह्रदय से संबंधित रोगों का एक बड़ा कारण है. इसी को देखते हुए मारुती सुजुकी ने 2020 से ही डीजल इंजन बनाना ही बंद केर दिया था.
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बदलाव का क्या पड़ेगा असर
पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक़ भारत दुनिया के टॉप -10 ग्रीनहाउस गैस का उत्पादन करने वाले देशो में है. इसीलिए डीजल पर प्रतिबंध लगाना एक बहुत अच्छा कदम हो सकता है. इसके साथ ही डीजल पर प्रतिबंध लगने से इलेक्ट्रिक गाडियों का बाजार काफी तेजी से बढ़ सकता है. परिवहन मंत्रालय ने पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर साल 2030 तक शहरी ट्रासपोर्ट को पूरी तरह से इलेक्ट्रिक करने की योजना बना ली है. दुनिया के कई देश इसमें आगे निकल गए है जिनमे नर्वे देश पहले स्थान पर है. बढ़ते हुए वायुप्रदुषण के चलते डीजल गाडियों में बैन लगाना काफी अहम हो सकता है.
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