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धान की ये किस्मे देती हैं 2 गुना उत्पादन लाखों किसान हो चुके हैं मालामाल, जानिए कौनसी हैं ये वेराइटी

अगर आप एक किसान है तथा आप धान की खेती करते है तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही ख़ास होने वाली है क्योकि इस पोस्ट में हम आपको धान की ऐसी किस्मो के बारे में बताएँगे जो की प्रति हेक्टेयर 55 क्विंटल तक की पैदावार देती है.

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कौन कौन सी है ये किस्मे

अगर आप धान की खेती करते है तो आपको हम ऐसी किस्मो के बारे में बताएँगे जो की कम झड़ने के साथ अधिक उत्पादन तो देती ही है और तो और ये 135 दिन में ही पक जाती है तथा ये किस्म आपको प्रति हेक्टेयर 55 क्विंटल तक उपज देगी आधुनिक जमाने में कृषि वैज्ञानिक कुछ इसी तरीके की नए तथा उन्नत बासमती चावल की किस्मो का विकास करने की दिशा में कार्यरत हैं। तथा आपको यह भी बता दे की हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने भी इस काम को सिद्ध करने में अपना काफी योगदान दिया है तथा इन्होने पूसा की कई ऐसी किस्मो को विकसित किया है जो की अच्छी पैदावार के साथ साथ झडती भी कम है और कम समय में भी पाक जाती है जो की हमारे किसान भाइयो के लिए बहुत ही अच्छी बात है इससे किसानो को बहुत ही फायदा होगा इन किस्मो में पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, और पूसा बासमती 1886 आदि किस्मो को विकसित किया गया है। इन किस्मों की सबसे अच्छी बात यह है की धान की अन्य किस्मो की तुलना में इन किस्मो में रोगों का प्रभाव बहुत ही कम पड़ता है और ये ज्यादा झडती भी नही है और अन्य किस्मो के मुकाबले इनकी पैदावार भी अच्छी होती है। यदि आप इन किस्मो की खूबियों की विस्तार में जानना चाहते है तो पोस्ट को आगे पूरा पढियेगा.

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पूसा बासमती 1847

अगर आप धन की खेती करने वाले किसान है तो आपको धान की इस किस्म के बारे में पता होना बहुत ही जरुरी है यह बासमती धन की एक काफी अच्छी वैरायटी है बासमती की यह एक नई किस्म है जिसे कृषि वैज्ञानिको के द्वारा विकसित किया गया है बासमती धान की यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट तथा ब्लास्ट रोगरोधी है। इसकी अच्छी बात यह है की इस किस्म के पौधे आकार में काफी छोटे होते हैं, जिसकी वजह से हवा अथवा बारिश के कारण यह झडती नही है एवं झडती भी है तो धान की अन्य किस्मो की तुलना में बहुत ही कम झडती है। इस धान की औसत उपज 57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है, जो की किसान भाइयो के लिए अच्छे उत्पादन के लिए बहुत ही अच्छी किस्म है। अगर आप चाहते है की आपकी फसल में रोग का प्रभाव कम से कम हो एवं प्राकृतिक आपदा से इसका बचाव हो तथा यह आपको अच्छी पैदावार भी दे तो आपके लिए इस किस्म की पैदावार का उपयोग करना बहुत ही अच्छा रहेगा.

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पूसा बासमती 1885

अगर आप धान की खेती करते है तथा आप धान की अच्छी किस्म को ढूंढ रहे है तो पूसा बासमती की यह किस्म आपके लिए एक बहुत ही अच्छी किस्म साबित हो सकती है आपको बता दे की यह किस्म पूसा बासमती 1121 का हो एक उन्नत रूप है जिसमे की रोगरोधी गुणवत्ता काफी अच्छी है। तथा यदि आप ऐसी किस्म चाहते है जिस पर हवा एवं बारिश का प्रभाव कम से कम पड़े तो आपके लिए यह बहुत ही अच्छी किस्म रहेगी क्योकि इसके पौधे का कद काफी मध्यम होता है जिसकी वजह से इसके झड़ने की संभावना अन्य किस्मो की तुलना में काफी कम होती है तथा इसका अनाज पूसा बासमती 1121 के समान अतिरिक्त लंबा एवं पतला होता है। तथा इसकी उपज की बात करे तो इसकी प्रति हेक्टेयर उपज 46.8 क्विंटल तक होती है तथा इसकी सबसे खास बात तो यह है की यह मात्र 135 दिनों में ही पक जाती है।

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पूसा बासमती 1886

कृषि वैज्ञानिको के द्वारा विकसित की गयी तीसरी किस्म पूसा बासमती 1886 है जो की पूसा बासमती 6 (1401) का एक उन्नत रूप है तथा यह भी बैक्टीरियल ब्लाइट तथा ब्लास्ट रोगरोधी किस्म है। अगर हम इसकी उपज की बात करे तो इस किस्म की उपज प्रति हेक्टेयर 44.9 क्विंटल तक होती है और इसके पकने की अवधि 145 दिन है। कृषि वैज्ञानिको के द्वारा विकसित की गयी बासमती चावल की इन किस्मों के बारे में कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि इनके द्वारा की गयी रिसर्च में रोगों से प्रतिरोधक शक्ति वाली तथा अच्छी पैदावार वाली किस्मो को विकसित किया गया हैं। इन किस्मो के पौधों का आकार छोटा होने की वजह से झड़ने का कोई डर नही होता है , जो की किसान भाइयो के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। इन नई रोगरोधी बासमती की किस्मों के विकसित होने की वजह से, भारत में बासमती धान की खेती के अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी किसानों के आर्थिक तौर पर हालातो में काफी सुधार होगा। इन किस्मों के ज्यादा उत्पादन तथा रोगों से प्रतिरोधक शक्ति के अच्छे होने की वजह से, भारत की बासमती चावल की उपज को और भी ज्यादा बेहतर बनाने में काफी मदद मिलेगी। इसकी वजह से देश में चावल कमी को पूरा किया जा सकेगा एवं इससे खाद्य सुरक्षा में भी काफी ज्यादा सुधार आएगा।

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