दाल एक ऐसी चीज़ है जिसकी हर घर में ज़रूरत होती ही है. जैसा की पिच्छले कुछ महीनों में देखा गया था की दाल के भाव आसमान छू रहे थे जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड रहा था. ऐसे में इस बात की खबर आना की दाल के भाव सस्ते होने वाले हैं इससे आम आदमी में ख़ुशी की लहर है.
सरकार ने लिया फैसला
आम आदमी के लिए वह समय बहुत खुशी वाला होता है, जब उसके किसी मतलब की चीज की कीमत कम हो जाती है. हमारे देश में दाल का हर घर में इस्तेमाल होता है, दाल प्रोटीन का अच्छा सोर्स माना जाता है यह दाल को डेली यूज की चीज़ बना देता है. पिच्छले कुछ समय से दाल की कीमत आसमान छू रही थी ऐसे में जब यह खबर आई कि आने वाले समय में दाल की कीमते कम होने वाली हैं इससे लोगों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है. दाल की कीमत बढ़ने का कारण जमाखोरी है इसीलिए सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए और दाल की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिल मालिकों के लिए अक्टूबर तक तुअर और उड़द दाल के लिए भंडारण की सीमा तय कर दी है.
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वर्तमान में क्या है दाल के भाव
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अरहर दाल की कीमत अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य, 2 जून को 19% बढ़कर 122.68 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. जो की एक साल पहले 103.25 रुपये प्रति किलोग्राम था. वहीं उड़द का औसत खुदरा मूल्य उसी समय में 5.26% बढ़कर 110.58 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है, जो पिच्छले साल 105.05 रुपये प्रति किलोग्राम था.
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सरकार द्वारा क्या नियम बनाये गए हैं
मंत्रालय द्वारा दिए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, मिल मालिकों के लिए भंडारण सीमा पिछले 3 महीनों का उत्पादन या सालाना क्षमता का 25 प्रतिशत रहेगी. इसमें वही मान्य होगा, जो सबसे ज्यादा होगा. वही, आयातकों को सीमा शुल्क की मंजूरी मिलने के 30 दिन से ज्यादा समय तक भंडारण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मंत्रालय की ओर से संबंधित वैधिक संस्थाओं को निर्देश दिए गए हैं कि वह उपभोक्ता मामलों के आधिकारिक पोर्टल पर स्टॉक की मौजूदा स्थिति दर्ज करा दें. अगर किसी के पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है तो उन्हें नॉटिफिकेशन जारी होने के 30 दिन के अंदर अपने माल को निर्धारित स्टॉक सीमा के अन्दर लाना होगा.
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