जैसा की पिछले कुछ समय में देखा गया है की देश में दाल के भाव बहुत तेज़ी से बढे थे इसकी वजह यह रही की इस साल देश में अरहर के उत्पादन में भरी कमी आयी ऐसे में अगर ऐसे ही दाल के रेट बढ़ते रहे तो लोगो की थाली से दाल गायब होना शुरू हो जाएगी जानिए अभी क्या है बाजार में दाल का रेट…..
40 रूपया बाढा दाल का भाव
दाल की बढ़ती कीमतों में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी दाल सस्ती होने का नाम नहीं ले रही है उल्टा यह सस्ती होने के बजाए महंगी ही होती जा रही है. अगर बात करें पिछले दो महीने की तो इस अन्तराल के अंदर अरहर दाल की कीमत में 30 से 40 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में स्थिति ये है की एक किलो अरहर दाल की कीमत 160 से 170 रुपये हो गई है. इतनी ज्यादा कीमत पर आम लोग दाल नहीं खरीद सकते ऐसे में आम जनता की थाली से दाल गायब हो गई है.
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कितनी आयी है उत्पादन में कमी
इतनी ज्यादा कीमत बढ़ने के पीछे एक ही कारन है की इस साल देश में अरहर के उत्पादन में बहुत कमी है. केंद्र सरकार के आंकड़े के मुताबिक, देश में अरहर दाल के प्रोडक्शन में भारी कमी आई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल अरहर दाल के घरेलू उत्पादन में 7.90 लाख टन की कमी दर्ज की गई है. अपने लक्ष्य से 11 लाख टन की कमी आई है देश में अरहर का उत्पादन घटकर 34.30 लाख टन पर पहुंच गया है, जबिक इसका लक्ष्य 45.50 लाख टन रखा गया था. अगर बात करें साल 2021-22 तो इस साल में अरहर का उत्पादन 42.20 लाख टन रिकॉर्ड किया गया था. इस साल इतना उत्पादन हुआ था इसी के चलते सरकार ने फसल सीजन 2022-23 के लिए अरहर दाल के उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ दाल का उत्पादन उल्टा घट गया .
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सरकर ने उठाये कदम
दाल की कीमत वैसे तो आसमान छु रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है की सर्कार ने इसके लिए कदम नहीं उथा रही है केंद्र सरकार ने दालों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार ने दालों की स्टॉक लिमिट तय कर दी है ताकि कोई इसकी जमा खोरी न कर सके . साथ ही केंद्र सरकार ने 10 लाख टन अरहर दाल विदेश से इम्पोर्ट करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा सरकार ने अरहर की दाल आर लगने वाला आयात शुल्क भी हटा दिया है. वहीं, भ्रष्टाचार से बाचने के लिए सरकार द्वारा दालों के स्टॉक की निगरानी करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है.
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इन देशो से इम्पोर्ट की जा रही है दाल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दलहन के मामले में भारत आत्मनिर्भर नहीं है देश में दाल की मांग को पूरा करने के लिए भारत हर साल हजारों करोड़ रुपये की तुअर दाल दूसरे देशों से आयात करनी पड़ती है. साल 2020-21 में भारत को 24.66 लाख टन दाल विदेशों से आयत करना पड़ा था. लेकिन इसके बाद मभी यहआंकड़ा थमाँ नहीं और बढ़ता ही गया. साल 2021- 22 में इम्पोर्ट के आकड़े में 9.44 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. जिसमे 26.99 लाख टन दाल का आयात दुसरे देशों से किया गया . इसी के चलते भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल आयातक बन गया है जी हाँ, हमारी अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान होने के बाद भी हम दाल के लिए दुसरे देशों पर निर्भर हैं. अगर बात करें दाल खरीदने की तो भारत अफ्रीकी देश, म्यांमार और कनाडा से सबसे अधिक दाल खरीदता है.
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