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चावल की कमी से जूझ रही है दुनिया धान को मिल सकता है अच्छा भाव

जैसा की आप जानते है की भारत में चावल भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इसके बिना हम भारतीयों का भोजन अधूरा रहता है और इस समय लगभग पूरे विश्व में चावल की कमी चल रही है ऐसे में यह कई लोगो के लिए चिंता का विषय है आपको बता दे की दुनिया भर में चावल की इतनी कमी साल 2003-04 में देखी गई थी. भारत में साल 2012-13 से ही हर साल चावल का उत्पादन एक लाख टन से ज्यादा ही रहा है. परन्तु इस समय यहां भी चावल की कमी देखी जा रही है.

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दुनिया में क्या है चावल के उत्पादन की स्थिति

आपको बता दे की इस समय पूरी दुनिया में चावल की कमी का संकट दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है जिस पर हाल ही में फिच सॉल्यूशंस के द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गयी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक,जो देश विश्व में चावल के सबसे बड़े उत्पादक थे उन देशो में चावल का उत्पादन बहुत ही तेजी से कम हुआ है जो की विश्व के सभी व्यापारियों एवं आम जनता के लिए बहुत ही चिंताजनक बात है . इसमें सबसे बड़ी की चिंता की बात तो यह है की इसमें आने वाले समय में ये ग्राफ नीचे ही जाता दिखाई दे रहा है. पहले की तुलना में चीन, अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में चावल का उत्पादन काफी तेजी से घटा है. आपको पता होना चाहिए की ये उत्पादन सिर्फ कुछ लाख टन ही नहीं बल्कि उससे भी कई ज्यादा कम हुआ है. फिच सॉल्यूशंस के कमोडिटी एनालिस्ट चार्ल्स हार्ट के अनुसार, इस साल बाजार में चावल की लगभग 1.86 करोड़ टन की कमी हुई है.

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चावल में कमी का कारण

आपको बता दे की फिच सॉल्यूशंस ने एक रिपोर्ट निकाली है जिसके मुताबिक , आज जितनी चावल की कमी दुनिया भर में हो गयी है दुनिया भर में चावल की इतनी कमी साल 2003-04 में हुई थी.पर अब आप यह सोच रहे है की आखिर चावल में कमी आने के कारण क्या है तो चावल की कमी के मुख्य कारणों की चर्चा करें तो इनमें सबसे मुख्य कारण रूस-यूक्रेन का युद्ध, चीन तथा पाकिस्तान जैसे चावल उत्पादक देशों में खराब मौसम तथा क्लाइमेट चेंज है. जिसके कारण पूरे विश्व में चावल की यह कमी आई है और इसके साथ ही इस का एक कारण यह भी है की आजकल के लोगों में खेती किसानी की कम होती जा रही है जिसके कारण भी चावल का उत्पादन कम हो रहा है और जैसे की आपको पता ही है की धन की खेती में लागत बहुत आती है और किसान को मेहनत भी अधिक लगती है इसलिए किसान धन के स्थान पर अन्य कोई फायदेमंद खेती करना पसंद करते है जिसके कारण चावल के उत्पादन में कमी आई है . अब बात यह आती है की चावल का उत्पादन कम होगा तो जाहिर सी बात है इसकी कीमते भी बहुत बढ़ेगी. फिर इससे भारत जैसे विकासशील देश पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा उससे आम आदमी कितना ज्यादा परेशान होगा.

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आखिर भारत में कितना होता है चावल का उत्पादन

यदि आप जानना चाहते है की भारत में चावल का कितना उत्पादन होता है तो आपको बता दे की चावल के उत्पादन में भारत की स्थिति विश्व में अच्छी ही रही है चावल के उत्पादन की गिनती हमेशा से उन देशों में होती रही है, जहां पर चावल का उत्पादन की स्थिति बेहतर है. भारत में साल 2012-13 से ही हर साल चावल का उत्पादन एक लाख टन से अधिक ही हो रहा है. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की रिपोर्ट की माने तो भारत में साल 2021-22 में 129,471 टन चावल का उत्पादन किया गया था. वहीं साल 2022-23 में भारत में 136,000 टन चावल का उत्पादन किया गया था. जबकि, 2023-24 में ये कम हो कर 134,000 टन ही रह गया . हालांकि दुनिया के अन्य देशों में जिस हिसाब से उत्पादन कम हुआ है, उसकी तुलना में भारत की स्थिति ठीक है.

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इससे किसानो का क्या फायदा होगा

जैसा की आपको पहले ही बताया जा चुका है की अभी पूरे देश में चावल का उत्पादन कम हो रहा है जिसके आम आदमी और जो किसानी से नही जुड़ा हुआ है जहाँ के क्षेत्र में धान की खेती नही की जा सकती है वहां के लोगो को बहुत ही परेशानी होगी किन्तु जो भी किसान धन की खेती करते है और जहाँ धान की पैदावार अच्छी होती है उनको आर्थिक तौर पर बहुत ही फायदा होगा क्योकि जब चावल की मांग बढ़ेगी तो धान का भाव बहुत बढेगा जिससे किसानो को बहुत लाभ होगा

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