अगर आप फलो की खेती करने मे रुची रखते है तो आपको अनानास की खेती जरुर करनी चाहिए.अनानास की खेती के बारे में जानने के लिए पोस्ट को ध्यान से पढ़े.
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अनानास की खासियत
इसे अंग्रेजी में पाइन एप्पल कहते है तथा इस फल का वैज्ञानिक नाम अनानस कोमोसस है.इसका पौधा कैक्टस प्रजाति का होता है.ये उष्णकटिबंधीय पौधा है.ये फल मूल रूप से पैराग्वे तथा दक्षिणी ब्राजील का है.बात करे इसके उपयोग की तो इसे कच्चा काटकर खाया जाता है एवं इसका जूस के रूप में भी सेवन किया जाता है.इसमें काफी पौषक तत्व होते है.यह अम्लीय प्रकृति का फल है इसमें मैलिक या साइट्रिक अम्ल पाया जाता है.इसमें मेगनीसियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है.यदि आप इसके एक प्याले का सेवन करते है तो आपके एक दिन के लिए आवश्यक मेगनीसियम की पूर्ती हो जाती है.इसमें काफी मात्रा में पौषक तत्त्व होते है. इसके 165 ग्राम 82.5 कैलोरी, 1.7 ग्राम फैट,1 ग्राम प्रोटीन,2.3 ग्राम फाइबर 21.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन 131 फीसद, विटामिन बी6 9 फीसद, कॉपर 9 फीसद, फोलेट 7 फीसद, पोटैशियम 5 फीसद, मैग्नीज 5 फीसद और आयरन 3 फीसदी पाया जाता है।
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अनानास के लाभ
अनानास एक बहुत ही लाभदायक फल है शरीर की सेहत के लिए इसे काफी अच्छा माना गया है.यह एक उच्च एंटीऑक्सीडेंट है.इसमें भरपूर मात्रा में पाया जाता है.जिसके कारण इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है.इसके सेवन से सर्दी से सम्बंधित संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.यह शरीर के भीतर के विषों के बाहर कर देता है.अनानास में क्लोरीन की प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.यह पित्त विकारो तथा पीलिया जैसे रोगों के लिए लाभकारी है.यह फल गले तथा मूत्र के रोगों के लिए फायदेमंद है.इसके सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है.यह गठियावात के लिए भी काफी फायदेमंद है.
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कैसे करे अनानास की खेती
आजकल कई किसान आर्थिक लाभ को मद्देनजर रखते हुए पारंपरिक खेती के स्थान पर आधुनिक खेती को करना पसंद करते है.अब किसान वह खेती करना चाहते है जिसकी मांग बाजार में ज्यादा हो और दाम अच्छे मिले.इसीलिए आजकल कई किसान सब्जयो तथा फलो की खेती कर रहे है और अच्छा मुनाफा कमा रहे है.इसीलिए उनके लिए अनानास की खेती करना एक अच्छा विकल्प है.आपको बता दे की इसकी मांग बाजार में साल भर रहती है तथा इसकी खेती भी पूरे साल की जाती है.इसीलिए यह एक लगातार मुनाफा देने वाली साबित हो सकती है.इसके खेती भारत में ज्यादातर केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम, तथा मिजोरम में की जाती है लेकिन अब उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश तथा बिहार में की जाती है.पश्चिम बंगाल ,केरल तथा आंध्रप्रदेश में पूरे 12 महीने ही होती है.इसकी खेती के लिए नम जलवायु की जरुरत होती है.इसीलिए इसके लिए अधिक बारिश की आवश्यकता होती है.और इसके साथ ही आपको बता दे की ज्यादा गर्मी और पाले को यह फल सहन नही कर सकता है.इसके लिए 22 से लेकर 32 डिग्री का तापमान उचित रहता है.तथा 100 से 150 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता पड़ती है.इसके लिए गर्म नमी वाली जलवायु बेस्ट होती है.बात करे मिटटी की तो अनानास की खेती के लिए अधिक जीवांश वाली बलुई दोमट मिटटी अथवा रेतीली दोमट भूमि बेस्ट होती है.इसके लिए आपको यह ध्यान रखना है की इसकी खेती आपको जलभराव वाली जगह पर नही करना है.मिटटी का पी एच मान 5 से 6 होना सही माना जाता है.अनानास की खेती एक साल में दो बार की जाती है .पहली जनवरी के महीने से मार्च के महीने तक तथा दूसरी बार में मई के महीने से लेकर जुलाई के महीने में की जाती है.लेकिन जिन क्षेत्रो में नमी युक्त गर्म जलवायु रहती है वहां पर आप अनानास की खेती 12 महिने में कभी भी कर सकते है.
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अनानास उन्नत किस्में
वैसे तो अनानास की कई किस्मे है पर उनमे जायनट क्यू,क्वीन,मौरिशस तथा रेड स्पेनिश आदि प्रमुख किस्मे है.इनमे से क्वीन किस्म बहुत ही जल्दी पकने वाली किस्मो में से है.और जायनट क्यू किस्म का उपयोग पछेती खेती के लिए किया जाता है.रेड स्पेनिश किस्म पर रोगों का प्रभाव कम पड़ता है इसीलिए आप अपने हिसाब से खेती के लिए उन्नत किस्मो का चयन कर सकते है.
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लागत और मुनाफा
अगर आप एक किसान है तथा भी अनानास की खेती करने की सोच रहे है और यह जानना चाहते है की आपको इसकी खेती करने पर कितनी लागत आएगी एवं इससे कितना फायदा होगा.तो आपको सबसे पहले बता की आप एक हेक्टेयर में अनानास के 16 से लेकर 17 हजार पौधो को लगा सकते है.इतने में आपको 3 से लेकर 4 टन तक का उत्पादन मिल जाता है.इसके एक फल का वजन लगभग 1 किलो होता है.और बात करे इसके मूल्य की तो इसकी कीमत सामान्यतः 150 से लेकर 200 रूपये किलो होती है.तथा इसकी मांग भी लगभग हमेशा ही बनी रहती है.अनानास का प्रयोग जूस,डिब्बा बंद स्लाइस आदि में किया जाता है.
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