जून का महीना आधा बीत चुका है मानसून भी आने वाले हैं ऐसे में देश भर के किसानों ने धान की तैयारी चालू कर दी है वैसे तो देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके की धान का उत्पादन किया जाता है लेकिन कई बार किसानो को पानी की समस्या के चलते बासमती जैसी अच्छी किस्म की धान की खेती करने का मौका नहीं मिल पाता. अगर आप भी इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं बासमती धान की ऐसी किस्मों के बारे में जो कम पानी में भी आसानी से उगाई जा सकती हैं
धान की तैयारी हुई शुरू
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 फीसदी से अधिक लोगों की आजीविका खेती-किसानी से ही चलती है. यहाँ पर कोई पारंपरिक फसलों की खेती करता है, तो कोई बागवानी फसलों करके अपनी ज़रूरते पूरी करता है. लेकिन, भारत में सबसे अधिक धान की ही खेती की जाती है. बिहार, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, जम्मू- कश्मीर और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ देश के लगभग सभी राज्यों के किसान धान की खेती करते हैं. खास बात यह है कि सभी राज्य में अलग-अलग किस्म की धान की खेती की जाती है. अभी भी किसान धान की ही तैयारी में जुटे हुए हैं अभी धान की नर्सरी लगाई जा रही हैं अगले महीने से धान खेतों में लगना शुरू हो जायेगा.
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कम पानी में इन किस्मो की धान लगायें
जिन क्षेत्रों में पानी की किल्लत है, और किसान बासमती धान की खेती करना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में किसान धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं. इससे पानी की बचत भी होगी और पैदावार पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान भाई पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509 और पूसा बासमती 1847 की खेती करते हैं, तो उन्हें ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और किसान अच्छी कमाई कर पाएंगे. इसके अलावा अगर किसान भाई चाहें तो पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1885 की भी खेती कर सकते हैं. इन किस्मों के ऊपर भी झोंका और झुलसा रोग आदि का असर नहीं पड़ता.
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कम समय में हो जाती हैं तैयार
धान की ये किस्मे कम समय में पककर तैयार हो जाती हैं. इन्हें पकने में 120 से 125 दिन का समय लगता है इतने में ही ये पक कर तैयार हो जाती हैं. पूसा बासमती 1692, बासमती 1509 और पूसा बासमती 1847 इन की सबसे खास बात यह है कि ये रोग प्रतिरोधी है. इन किस्मों की धान के ऊपर झुलसा रोग का कोई असर नहीं होता. ऐसे में किसान भाइयों का कीटनाशकों पर होने वाला खर्च बचेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी.
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इन किस्मो की धान पर नहीं होता रोग का असर
अगर किसान भाई पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1885 की खेती करते हैं तो इसका ये फायेदा होगा की ये धान की किस्मे रोग प्रतिरोधक होती हैं इन पर कई रोगों का असर नहीं पड़ता. झोंका और झुलसा रोग का भी असर इन पर नहीं होता है. और इन्हें पकने में भी ज्यादा समय नहीं लगता बासमती की ये तीनों किस्में 145 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती हैं.
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इसमें है सबसे ज्यादा प्रतिरोधकता
अगर किसान चाहें तो पूसा बासमती 1886 की भी खेती कर सकते हैं. इसमें रोग प्रतिरोध क्षमता सबसे अधिक होती है. इसमें झोंका और झुलसा रोग का भी कोई असर नहीं पड़ता . लेकिन पूसा बासमती 1886 पकने में बहुत ज्यादा समय लेता है. इसकी फसल को तैयार होने में करीब 160 दिन के आस पास लग जाते हैं.
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