बंजर जमीन पर खेती करना बहुत मुश्किल होता है . ऐसी जमीन को ऊसर जमीन भी कहा जाता है. ऐसी जमीन पर खेती के लिए अधिक लागत लगानी पड़ती है और पैदावार फिरभी कम होती है.
बंजर जमीन में सिंचाई करना होता है मुश्किल
बंजर जमीन पर खेती करना बहुत मुश्किल होता है अगर देश के सबसे उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर 1.37 मिलियन हेक्टेयर भूमि ऊसर यानि बंजर है. धान की खेती पूरे देश में की जाती है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं. धान की खेती में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सिंचाई है धान की खेती के लिए सिंचाई की बहुत अधिक जरूरत पड़ती है. आंकड़े के अनुसार एक हेक्टेयर में धान की खेती करने के लिए लगभग पचास लाख लीटर पानी की खपत होती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से धान की सिंचाई की जाती है, अधिकांश किसान ट्यूबवेल से सिंचाई करते हैं कहीं-कहीं पर किसान नहर के माध्यम से धान की फसल का सिंचाई करते हैं, तो कहीं . यही वजह है कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में किसान बहुत ही कम धान की खेती कर पाते हैं .
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इस तरीके से की जा सकती है सिंचाई
बंजर जमीन पर धान की सिंचाई के लिए अब किसानों को पानी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. इस विधि से किसान अब बंजर जमीन पर भी धान की सिंचाई आसानी से कर सकते हैं. किसानो को दो से तीन दिन के अंतराल पर धान की सिंचाई करनी होगी. सबसे खास बात यह है कि किसान भाईयों को इस दौरान 5 से 10 सेमी ही गहरी सिंचाई करनी होगी. इससे पानी की बचत होगी. यानी कि किसान भाई कम पानी में अब बंजर जमीन पर भी धान की सिंचाई आसानी से कर सकते हैं.
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धान में जमीन की उसरता सहन करने की क्षमता अधिक होती है
बंजर जमीन को ही ऊसर जमीन कहते हैं. बात अगर देश के सबसे प्रभावशाली राज्य उत्तर प्रदेश की करें तो यहां पर 1.37 मिलियन हेक्टेयर भूमि ऊसर है. इस तरह की भूमि में खेती करना बहुत ही कठिन होता है. ऐसी जमीन पर खेती के लिए कड़ी मेहनत और अधिक लागत लगाना पड़ता है उसके बावजूद भी फसल की पैदावार कम मिलती है. लेकिन, ऊसर जमीन पर रबी फसलों के मुकाबले धान की उपज ज्यादा अच्छी होती है. धान में भूमि की उसरता को सहन करने की कैपेसिटी बहुत अधिक होती है.
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ऐसे करें धान की फसल की सिंचाई
धान की बुवाई करने से पहले धान की नर्सरी लगानी पड़ती है. इसमें भी बहुत अधिक पानीकी जरुरत होती है. एक किलो धान का उत्पादन करने में लगभग 1800 लीटर से लेकर 4000 लीटर तक पानी का उपयोग होता है. लेकिन, अंतराल विधि से धान की सिंचाई कर पानी की खपत को कम किया जा सकता है. वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि बंजर भूमि पर भी धान की खेती की जा सकती है. इसके लिए किसान भाई को सिंचाई में पानी की मात्रा एवं सिंचाई के अंतराल में अंतर लाकर धान की सिंचाई करनी होगी.
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